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Reading: क्या रणनीति बनाने में हुई चूक व ओवरकॉन्फिडेंस ले डूबी?
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NavinKadam > रायगढ़ > क्या रणनीति बनाने में हुई चूक व ओवरकॉन्फिडेंस ले डूबी?
रायगढ़

क्या रणनीति बनाने में हुई चूक व ओवरकॉन्फिडेंस ले डूबी?

खरसिया धरमजयगढ़, और लैलूंगा क्यों नहीं जीत पाई भाजपा, जिला संगठन का फोकस इन सीटों पर रहा कितना

lochan Gupta
Last updated: December 6, 2023 1:44 am
By lochan Gupta December 6, 2023
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10 Min Read

रायगढ़। इस चुनाव में प्रदेश में भाजपा ने शानदार प्रदर्शन कर सत्ता में वापसी तो कर ली। लेकिन रायगढ़ जिले में भाजपा को रायगढ़ सीट को छोडक़र अन्य तीन सीटों पर आशातीत सफलता नहीं मिल पाई। रायगढ़ जिले की रायगढ़, खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा सीट पर 2018 के चुनाव में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि इस चुनाव में भाजपा प्रदेश की ज्यादातर सीटों पर स्वीप कर गई थी। लेकिन इस बार प्रदेश की 54 सीटों पर जीत दर्ज कर पिछली हार का बदला लेने में कामयाब हो गई। परंतु रायगढ़ जिले में मात्र रायगढ़ सीट पर जीत दर्ज करना अन्य तीन सीटों पर मिली करारी हार भाजपा के लिए अफसोस जनक मानी जा सकती है। राजनीति के जानकारों की माने तो यह भाजपा के लिए बेहद चिंताजनक स्थिति मानी जा सकती है। बताया जाता है कि भाजपा 2023 के चुनाव को बेहद सधे तरीके से रणनीति बनाकर लड़ रही थी। लेकिन महज एक सीट पर जिले में सीमेंट जाना संगठन के लिए समीक्षा की घड़ी है। प्रदेश में इस चुनाव के लिए भाजपा ने घोषणा पत्र जारी कर मतदाताओं को साधने कि कोशिश की और उस पर ज्यादातर सीटों में सफलता भी मिली, लेकिन रायगढ़ सीट को अलग कर दें तो खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा सीट पर भाजपा का प्रदर्शन अच्छा नहीं कहा जा सकता। हालांकि कांग्रेस के लिए अच्छी बात रही की 2018 के प्रदर्शन को खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा में बरकरार रखा। इस चुनाव में रायगढ़ सीट से भाजपा ने शानदार प्रदर्शन किया और भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी को ऐतिहासिक जीत मिली। इस चुनाव में भाजपा के हिस्से में 129134 वोट आए। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी प्रकाश नायक को मात्र 64691 मत मिले। पिछले चुनाव में प्रकाश नायक ने 69062 वोट प्राप्त कर भाजपा से रायगढ़ सीट को अपने कब्जे में कर लिया था। 2018 के चुनाव में भाजपा के खाते में महज 54482 वोट आए थे। इस चुनाव में भाजपा ने 2018 के चुनाव का कांग्रेस से हार का बदला लेकर रायगढ़ सीट पर ऐतिहासिक जीत का रिकॉर्ड तो बना लिया। परंतु रायगढ़ जिले की धरमजयगढ़ लैलूंगा की सीट के अलावा खरसिया की सीट पर कब्जा जमाने में नाकाम रही। इस चुनाव का परिणाम आने के बाद राजनीतिक हल्कों में इसकी फुसफसाहट शुरू हो गई है। बताया जाता है कि भाजपा को इस चुनाव में जिस तरह सभी सीटों पर फोकस करना था वह नहीं हो पाया। इसे जिला संगठन के फेलवर होने की दृष्टि से देखा जा रहा है। जिला संगठन को यदि रायगढ़ सीट पर बेहतर प्रदर्शन करने का श्रेय दिया जा सकता है, तो जिले की तीन अन्य सीटों पर परिणाम अनुकूल नहीं आ पाने के कारणों की समीक्षा की जिम्मेदारी भी जिला संगठन की मानी जानी चाहिए। राजनीति की जानकारों की माने तो खरसिया सीट कांग्रेस का अभेद्यगढ़ के तौर पर हमेशा रहा। इस बार भी कांग्रेस के उमेश पटेल ने भाजपा के महेश साहू को 21656 मतों के अंतर से पराजित किया। 2018 के विधानसभा चुनाव में खरसिया सीट से ओपी चौधरी भाजपा प्रत्याशी रहे। उसे दौरान उन्हें 16642 मतों के अंतर से पराजय मिली थी। खास बात यह है कि 2018 के चुनाव में ओपी के प्रत्याशी होने पर कांग्रेस की जीत का आंकड़ा कम हुआ था, लेकिन इस बार कांग्रेस फिर से 20 हजार के आंकड़े को पार कर 21656 मतों के अंतर से भाजपा को परास्त करने में सफलता पाली। उधर धरमजयगढ़ सीट पर भी लालजीत सिंह राठिया ने कांग्रेस को लगातार तीसरी बार जीत दिला दी। बताया जाता है कि भाजपा ने इस चुनाव में कांग्रेस की तगड़ी घेराबंदी करने की मंशा से प्रत्याशी बदलकर नई रणनीति बनाई। लेकिन राजय ही हाथ लगी। 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी लिनव राठिया के खाते में महज 54834 वोट ही आए थे। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी लालजीत सिंह राठिया 95173 वोट लेकर 40335 मतों के अंतर से चुनाव जीत गए। इस बार भी कांग्रेस के लालजीत राठिया के हिस्से में 90 हजार से अधिक वोट आए। इस बार उन्होंने भाजपा प्रत्याशी हरिश्चंद्र राठिया को 9637 मतों के अंतर से पराजित किया। भाजपा ने इस बार प्रत्याशी बदला तो वोट में बढ़ोतरी करने में सफलता तो पा लिया। लेकिन जीत दर्ज करने में सफल नहीं हो पाई। भाजपा प्रत्याशी को इस बार 80856 वोट ही मिल पाया। उधार लैलूंगा सीट में भी भाजपा को हार का सामना करना पड़ा और कांग्रेस को लगातार दूसरी बार जीत दर्ज करने में सफलता मिली। खास बात यह है कि 2018 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सत्यानंद राठिया को रपराजय का मुंह देखना पड़ा था। उस चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी चक्रधर सिंह सिदार ने 81770 वोट अपने हिस्से में कर भाजपा को 24483 मतों के अंतर से पराजित किया था। इस बार कांग्रेस ने प्रत्याशी बदलकर विद्यावती सिदार को बनाया था। भाजपा ने भी इस बार प्रत्याशी तो बदला लेकिन सत्यानंद राठिया की पत्नी सुनीति राठिया पर विश्वास व्यक्त किया। खास बात यह रही की जनता ने सुनीति यत्यानंद राठिया के बजाय विद्यावती सिदार पर विश्वास जाता था और कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार 4176 मतों के अंतर से चुनाव जीतने में कामयाब हो गई। गौर करने वाली बात है कि एक ही परिवार के बीच भाजपा का विश्वास उसे लैलूंगा सीट पर ले डूबी। बताया जाता है कि इस चुनाव प्रत्याशी बदलने का निर्णय भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही लिया था। लेकिन जनता की नब्ज पकडऩे में भाजपा की चूक परिणाम में सामने आ गई। जिले की तीन सीट पर भाजपा को मिली पराजय कार्यकर्ताओं के गले भले नहीं उतर रही है। लेकिन सच्चाई यही है कि चुनावी रणनीति बनाने में जिला संगठन ने कहीं ना कहीं बड़ी चूक कर दी। जिसका खामियाजा पार्टी को एक बार फिर भुगतना पड़ा। प्रदेश स्तर पर भाजपा के अच्छे प्रदर्शन और रायगढ़ जिला मुख्यालय की सीट पर भाजपा की ऐतिहासिक सफलता की गूंज को जिले की खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा क्षेत्र की जनता के बीच नहीं पहुंच पाने की टीस संगठन के निष्ठावान कार्यकर्ताओं को रहेगी ही।
दिलों पर पूरी तरह उतर नहीं पाए
जिले के तीन सीटों पर कांग्रेस का शानदार प्रदर्शन काबिले तारीफ माना जा सकता है। खरसिया का गढ़ कांग्रेस के कब्जे में बरकरार है। धरमजयगढ़ सीट भी लगातार तीसरी जीत के साथ अभेद्यगढ़ का स्वरूप लेता जा रहा है। लैलूंगा सीट पर कांग्रेस की लगातार दूसरी जीत बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे में परिवर्तन के संकेत दे रहा है। राजनीति के जानकारों की माने तो इन तीनों सीट पर भाजपा शुरुआती दौर से ही ओवरकॉन्फिडेंस में रही। ग्रामीण बसाहट वाले इन क्षेत्रों में घोषणा पत्र पूरी तरह आम जनता तक पहुंचाने के लिए कारगर रणनीति की कमी रही। कांग्रेस अपने वादों को आम जनता तक पहुंचने में कामयाब रही। खरसिया और धरमजयगढ़ में नया चेहरा देखकर प्रत्याशियों को उनके भरोसे छोडऩा बड़े नेताओं की रणनीति और मार्गदर्शन को धरातल पर नहीं उतर पाना ऐसे कई करण रहे जो मतदाताओं के दिलों पर पूरी उतर नहीं पाई।
जिले में तीन सीट हारे फिर भी वोट मिले ज्यादा
भाजपा के लिए जिले के तीन हारी हुई सीट पर कांग्रेस की बढ़त इस बार सुकून देने वाली कही जा सकती है। 2018 के विधानसभा चुनाव में रायगढ़, खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा सीट पर कांग्रेस की जीत का आंकड़ा कुल 96040 वोट का रहा। इस बार रायगढ़ सीट को छोडक़र कांग्रेस की जीत का टोटल लीड 35469 वोट का है। रायगढ़ सीट पर भाजपा ने कांग्रेस से 64443 वोटों की लीड दर्ज कराई है। इस आशय से यह तो कहा जा सकता है कि रायगढ़ जिले में भाजपा के वोटों का ग्राफ तो बड़ा है, लेकिन सीटों की संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो पाई। 2018 के चुनाव में रायगढ़, खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशियों के हिस्से में कुल 339799 वोट आए थे। जबकि भाजपा प्रत्याशियों के खाते में 243759 वोट ही गिरे थे। परंतु इस चुनाव में भाजपा ने जिले के चारों सीटों पर जहां कुल 367989 वोट अपने खाते में डलवाने में कामयाब रही। वहीं कांग्रेस प्रत्याशियों के इन चारों सीटों पर वोट का योग 337926 रहा है। इस तरह इस चुनाव में तीन सीट हार कर भी भाजपा का वोट प्रतिशत अधिक रहा।

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