रायगढ़। इस विधानसभा चुनाव में रायगढ़ सीट पर समूचे जिले की नजर है। जिला मुख्यालय की यह सीट पूर्व आईएएस ओपी चौधरी की वजह से हाई प्रोफाइल सीट बन चुकी है। जिससे मतदान के बाद परिणाम को लेकर जितनी चर्चा रायगढ़ की इस सीट की है, उतनी जिले के अन्य तीन सीटों की नहीं है। राजनीति की जानकारों की माने तो चुनावी शंखनाद के साथ ही रायगढ़ सीट के लिए भाजपा से ओपी चौधरी की दावेदारी को लेकर चर्चा सुर्खियों में रही। बताया जाता है की टिकट वितरण के साथ ही रायगढ़ सीट पर भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी का ग्राफ आम जनता के बीच इतनी तेजी से बढ़ा की हर जुबान पर उनकी चर्चा होने लगी। खास बात यह रही है कि चुनाव प्रचार के दौरान भी आम लोगों के बीच ओपी चौधरी चर्चा के केंद्र में रहे। जिससे आम लोगों के बीच ही अन्य प्रत्याशियों से सीधे तौर पर तुलना की भी खबरें आती रही। पूरे चुनाव के दौरान ओपी चौधरी का ग्राफ कभी भी नीचे नहीं आया। इसकी वजह यह बताई जाती रही है कि भाजपा प्रत्याशी ओपी का प्रोफाइल इतना मजबूत है कि हर आयु वर्ग के बीच में पसंदीदा बनते चले गए। और मतदान के दिन भी ओपी चौधरी की चर्चा आम मतदाताओं से लेकर राजनीतिक गलियारों में केंद्रित रहा। इसकी प्रमुख वजह यह बताई जा रही थी कि रायगढ़ जिला मुख्यालय की सीट के लिए वे बेहद उपयुक्त साबित हो सकते हैं। मतदान के बाद भी ओपी चौधरी के नाम की चर्चा आम लोगों की जुबान पर है। बताया जाता है की राजनीति में आम जनता के बीच चर्चा के केंद्र में रहने वाले पूर्व आईएएस ओपी चौधरी को लेकर जिस तरह रुझान दिखा वह मतदान में तब्दील होने की स्थिति में रायगढ़ सीट का चुनावी परिणाम बेहद चौंकाने वाला हो सकता है। आम लोगों के बीच रायगढ़ सीट से इस प्रत्याशी की स्थिति को लेकर उनके नंबर वन पर रहने का अनुमान भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है। हर जुबान पर इस प्रत्याशी को लेकर जिस तरह की सकारात्मक चर्चा है, उससे राजनीतिक गलियारों में परिणाम को लेकर बढ़त मिलने की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता। बीरहाल आने वाले 3 दिसंबर को मतगणना पर सब की नजर है, देखना है कि पूरे चुनाव के दौरान ओपी चौधरी को लेकर सामने आए रुझान और परिणाम एक दूसरे की कितने करीब रह सकते हैं।
अपनी लकीर बढ़ते रहे ओपी
पूरे चुनाव में बेहद सकारात्मक रुख के साथ रायगढ़ सीट पर भाजपा नजर आई। राजनीति के जानकारों की माने तो भाजपा प्रत्याशी ओपी चौधरी अपने व्यक्तित्व के अनुरूप ही चुनाव मैदान में नजर आए। बिना किसी तरह का आक्रामक रूप अख्तियार किये विरोधी दल की लकीर को छोटी करने के बजाय अपनी लकीर आगे बढ़ते नजर आए। इसका सकारात्मक प्रभाव भी नजर आया। बताया जाता है कि विरोधियों की ओर से उन्हें उकसाने के भी प्रयास हुए, लेकिन ओपी चौधरी ने पीछे पलट कर देखना भी मुनासिब नहीं समझा और राह आसान होती चली गई, जो मतदान के दिन भी नजर आई। मतगणना की तारीख जैसे-जैसे करीब आ रही है, ओपी चौधरी को लेकर चर्चा एक बार फिर केन्द्रित हो गई है।
अन्य सीटों पर भी रायगढ़ का असर
मतदान के बाद ओपी चौधरी की लोकप्रियता का ग्राफ जिस तेजी के साथ बढ़ रहा है। उससे राजनीतिक गलियारों में यह भी चर्चा है कि रायगढ़ जिला मुख्यालय की फिजा का जिले की अन्य सीटों पर सकारात्मक प्रभाव पडऩे की उम्मीद बढ़ गई है। बताया जाता है कि भाजपा की यह रणनीति भी रही है कि जिला मुख्यालय की सीट पर इसका फोकस ज्यादा रहेगा। इस चुनाव में भाजपा ने रायगढ़ सीट के लिए जिस तरह सकारात्मक माहौल तैयार करने में सफलता हासिल की उसका परिणाम पर भी असर देखना स्वाभाविक लगता है। बताया जाता है कि रायगढ़ सीट के अलावा खरसिया, धरमजयगढ़ और लैलूंगा सीट पर इस सकारात्मक प्रभाव का असर भी नजर आ सकता है। जिससे परिणाम बेहद चौंकाने वाले हो सकते हैं।