रायगढ़। तमनार के गारे-पेलमा सेक्टर-1 कोल ब्लॉक पर ग्रामीणों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। जिंदल पावर लिमिटेड को आवंटित इस खदान की 8 दिसंबर को धौराभांठा में हुई जनसुनवाई को ग्रामीण ‘फर्जी और अवैध’ बता रहे हैं, जिसके विरोध में लिबरा के पास सीएचपी चौक पर शुक्रवार 12 दिसंबर से बेमियादी आर्थिक नाकेबंदी जारी है। आज रविवार को तीसरे दिन चल रहे धरने से औद्योगिक वाहनों की आवाजाही ठप है, जिससे 1.5 किमी लंबा जाम लग गया।
धौराभांठा, झिंकाबहाल, खुरूसलेंगा, समकेरा, लिबरा, बुडिया, बिजना, महलोई, आमगांव, टांगरघाट, झरना सहित 14 गांवों के हजारों ग्रामीण सडक़ पर डटे हैं। वे आरोप लगाते हैं कि ग्राम सभा के विरोध पत्रों को नजरअंदाज कर गुप्त रूप से जनसुनवाई कराई गई, जिसमें सिर्फ कंपनी कर्मचारी और ठेकेदार शामिल थे। अनुसूचित क्षेत्र होने से पेसा एक्ट व पांचवीं अनुसूची के तहत ग्राम सभा की मंजूरी जरूरी थी, जो नहीं ली गई।
लैलूंगा विधायक विद्यावती कुंजबिहारी सिदार धरना स्थल पर पहुंचकर ग्रामीणों के साथ बैठीं और उनकी मांगों का समर्थन किया। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण मंडल रायपुर को पत्र भेजकर जनसुनवाई को संविधान विरोधी बताया।
उनका कहना है कि यह क्षेत्र अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में आता है, जहां पेसा एक्ट और पाँचवीं अनुसूची के अनुसार ग्राम सभा की अनुमति के बिना जनसुनवाई कराना अवैध है। सिदार ने यह भी कहा कि गारे-पेलमा परियोजना में वन अधिकार कानून का पालन नहीं किया गया।
मुद्दापूर्व मंत्री और खरसिया विधायक उमेश पटेल भी शनिवार को धरना स्थल पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से मुलाकात कर कहा कि उनकी मांगें न्यायोचित हैं और इस विषय को वे विधानसभा में भी उठाएंगे।
तमनार में 14 गांव के लोगों का तीसरे दिन भी धरना
औद्योगिक वाहनों की आवाजाही ठप, उमेश पटेल ने कहा - विधानसभा में उठेगा मुद्दा



