रायगढ़। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की डबल बेंच खंडपीठ ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण फैसले में रायगढ़ शहर के एक संपत्ति विवाद में किराया नियंत्रण प्राधिकरण के आदेश को बहाल कर दिया है। यह फैसला किरायेदार के खिलाफ एक ‘ऐतिहासिक’ कदम माना जा रहा है, जिसमें किरायेदार को सख्त समय-सीमा के भीतर बकाया किराया जमा करने का अंतिम अवसर दिया गया है, अन्यथा बेदखली की कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा।
यह मामला डब्ल्यूपीसी 1492/ 2023 केश गायत्री देवी अग्रवाल एवं अन्य बनाम निर्मला देवी सिंघानिया एवं अन्य से संबंधित है, जिसमें रायगढ़ की जमीन, ग्राम बैकुंठपुर, तहसील जिला रायगढ़, खसरा नंबर 141/1/1 रकबा 0.541 हेक्टेयर शामिल है। यह विवाद गोपाल सिंघानिया आ. धनसिंग के लकड़ी टाल कोतरा रोड के संबंध में भी है।
27 नवंबर 2025 को दिए गए अपने आदेश में माननीय उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने निम्नलिखित मुख्य निर्देश दिए। जिसमें निचले आदेश की बहाली, उच्च न्यायालय ने किराया नियंत्रण प्राधिकरण, रायगढ़ द्वारा 25 मार्च 2022 को पारित मूल आदेश को बहाल रखा, जिसे रायपुर स्थित किराया न्यायाधिकरण अदालत ने अपील संख्या 31/2022 में 20 दिसंबर 2022 को निरस्त कर दिया था।
किराया जमा करने का समय
किरायेदार को निर्देश दिया गया कि वह आदेश की तारीख से चार सप्ताह के भीतर संपूर्ण बकाया किराया जमा करे। सख्त कार्रवाई का निर्देश: यह स्पष्ट किया गया कि यदि किरायेदार निर्धारित समय-सीमा (चार सप्ताह) के भीतर किराया जमा नहीं करता है, तो उसका अवसर समाप्त कर दिया जाएगा। त्वरित बेदखली प्रक्रिया: किराया जमा न करने की स्थिति में, संबंधित प्राधिकरण को किरायेदार की बेदखली और किराया जमा से संबंधित संपूर्ण कानूनी कार्रवाई दो महीने के भीतर पूरी करने का निर्देश दिया गया है।
यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2016 के नियम 7 के आधार पर करने का निर्देश दिया गया। इस मामले में याचिकाकर्ता गायत्री देवी की ओर से अधिवक्ता मितीन सिद्दिकी ने पैरवी की। इस फैसले को छत्तीसगढ़ किराया नियंत्रण अधिनियम, 2016 के तहत एक महत्वपूर्ण निर्णय के रूप में देखा जा रहा है, जो किरायेदार और मकान मालिक दोनों के हितों को विनियमित करने के लिए त्वरित न्याय तंत्र प्रदान क
हाई कोर्ट का किरायेदार के विरुद्ध ऐतिहासिक फैसला
किराया नियंत्रण प्राधिकरण के आदेश को किया बहाल, 4 सप्ताह में बकाया जमा न करने पर बेदखली के निर्देश



