रायगढ़। शहर का रियासतकालीन पुराना हटरी, जो कभी अपनी 36 दुकानों और 90 चबूतरों की पहचान से जाना जाता था, आज अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुका है। जहां कभी मेटाडोर और ट्रैक्टर आराम से अंदर तक प्रवेश कर जाते थे, वहीं आज एक बाइक निकालना भी चुनौती बन गया है। व्यवस्थित बाजार का स्वरूप अब बहुमंजिला इमारतों और अवैध कब्जों ने पूरी तरह बदल दिया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि हटरी अब बाजार कम, अतिक्रमण का केंद्र अधिक बन चुकी है। दुकानदारों ने न केवल दुकानें बढ़ा ली हैं, बल्कि कई ने दो-दो मंजिला मकान दुकानों के ऊपर खड़े कर दिए हैं। यह निर्माण किसकी अनुमति से हुआ—यह आज तक जांच का विषय है।
जानकारों बताते हैं कि पुराने समय में शहर में दो ही प्रमुख बाजार थे-गांधी गंज (मंगल बाजार) और पुरानी हटरी। यह बाजार साग-भाजी से लेकर किराना, बर्तन और सौंदर्य प्रसाधन तक हर तरह की खरीद-फरोख्त का केंद्र था। लेकिन आज इसकी पहचान धीरे-धीरे खत्म हो रही है। कोतवाली की ओर से हटरी में प्रवेश करते ही शुरुआती राशन दुकान ने पूरा रास्ता घेर रखा है, जहां से स्कूटी निकालना भी मुश्किल है। गद्दी चौक से आने वाले मार्ग पर भी दुकान के मालिक ने पूरी सडक़ को दुकान में समेट लिया है। संकरी गली, भीड़ और अवैध कब्जा इस बाजार की नई पहचान बन चुके हैं।
शहर में अतिक्रमण हटाने की चर्चा अक्सर होती रहती है, लेकिन रसूखदार कब्जाधारियों के आगे नगर निगम और जिला प्रशासन की कार्रवाई हर बार ठंडी पड़ जाती है। फुटपाथों से छोटे दुकानदारों को हटाकर वाहवाही लूटने वाली निगम टीम पुरानी हटरी के बुलंद अतिक्रमण पर कार्रवाई करने से बचती दिखती है। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि निगम की निष्क्रियता और कानून के खुले उल्लंघन से बाजार का मूल स्वरूप नष्ट हो गया है। यहाँ आज बहुमंजिला दुकानें खड़ी हैं, जबकि यह स्थान पारंपरिक ‘पसरा संस्कृति’ के लिए जाना जाता था।
दो वर्ष पूर्व संजय कॉम्प्लेक्स में हुए बड़े हादसे को शहर अब भी भूला नहीं है, जहां सिलेंडर ब्लास्ट के बाद पूरा बाजार जलकर राख हो गया था। नगर निगम से चंद कदमों की दूरी पर हुई इस घटना ने सुरक्षा इंतज़ामों की पोल खोल दी थी। यदि ऐसी स्थिति पुरानी हटरी जैसे संकीर्ण बाजार में उत्पन्न होती है, तो राहत कार्य करना लगभग असंभव होगा। स्थानीय लोगों का आरोप है कि निगम और जिला प्रशासन किसी बड़ी दुर्घटना के इंतज़ार में है।
तत्कालीन कलेक्टर अमित कटारिया ने पुरानी हटरी में चौड़ीकरण का खाका तैयार किया था और शुरुआती पहल भी की थी। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद यह योजना फाइलों में दफन हो गई। इसके बाद आधा दर्जन से अधिक कलेक्टर आए–गए, लेकिन किसी ने भी इस गंभीर समस्या पर ध्यान नहीं दिया। वरिष्ठजनों का कहना है कि ‘यह मधुमक्खी का छत्ता है, जिसे छेड़ा तो उल्टा डंसता है’, संभवत: यही कारण है कि अधिकारी इस दिशा में कार्रवाई से बचते हैं।
पुरानी हटरी शहर की सांस्कृतिक धरोहर है, लेकिन लगातार बढ़ रहे अतिक्रमण से यह अपनी ऐतिहासिक पहचान खोती जा रही है। यदि प्रशासन ने समय रहते निर्णायक कदम नहीं उठाए, तो यह बाजार न केवल अपना मूल स्वरूप खो देगा, बल्कि किसी बड़ी दुर्घटना का गवाह भी बन सकता है। स्थानीय नागरिकों व व्यापार संगठनों का कहना है- जब तक प्रशासन सख्ती से कार्रवाई नहीं करेगा, पुरानी हटरी अतिक्रमणकारियों के कब्जे से मुक्त नहीं होगी।
अतिक्रमण का दंश झेल रहा पुरानी हटरी
रियासतकालीन बाजार बहुमंजिला में तब्दील, निगम बना मूकदर्शक



