जशपुरनगर। संकल्प शिक्षण संस्थान में कई तरह की शैक्षणिक गतिविधियां कराई जाती हैं। जिसकी वजह से संकल्प शिक्षण संस्थान की अपनी एक पहचान है।इस बार दशहरा के प्रोजेक्ट वर्क में कक्षा 11 वीं के बच्चों को अलग तरह का कार्य हिंदी की शिक्षिका सीमा गुप्ता के द्वारा दिया गया, जिसमें उन्हें सफल अधिकारियों का इंटरव्यू लेना था।जिसके लिए उन्होंने बच्चों की 6 टीम बनाई थी। अपनी अपनी टीम का सभी को अपना एक यूनिक नाम भी रखना था ।जिसमें पहली टीम का नाम एलिट था। जिसका अर्थ है सर्वश्रेष्ठ। इस टीम में अंबिराज पहाडिय़ा ,जितेंद्र बंजारा, विवेक बंजारा , टीपेश प्रसाद यादव,प्रवीण कुमार और अंकित कुमार यादव थे। इस टीम को एस एस पी शशि मोहन सिंह का साक्षात्कार करना था ।जब बच्चे एसपी के पास पहुंचे तो उन्होंने बड़ी गर्मजोशी के साथ बच्चों का स्वागत किया और बच्चों के सवालों का और उनकी जिज्ञासाओं का भी समाधान उनके द्वारा किया गया। बच्चों के द्वारा जब यह कहा गया कि हम भी आपकी तरह प्रशासनिक अधिकारी बनना चाहते हैं इसके लिए हमें क्या करना चाहिए तो पुलिस अधीक्षक ने बताया कि आपको अपनी ऊर्जा को सही जगह लगाना है हर व्यक्ति में ऊर्जा निहित है। लेकिन हम उसका प्रयोग सही जगह नहीं करते आप लक्ष्य निर्धारित कर कार्य करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी ।उन्होंने अपने पुलिस कैरियर के अलावा अपने द्वारा अभिनीत फिल्मों के बारे में भी बच्चों से बात की और बच्चों की विशेष अनुनय पर अपनी स्वरचित कविता भी सुनाई। उन्होंने यह भी बताया कि वह बचपन से ही पुलिस ऑफिसर बनना चाहते थे क्योंकि उन्हें एक्शन में बहुत रुचि थी और जब फिल्मों में पुलिस को एक्शन करते देखते थे तो उन्हें बहुत अच्छा लगता था।
दूसरी टीम का नाम ड्रीमर्स स्टार्स था ,जिसका मतलब है चमकते सितारे ।इस टीम में रितु कुर्रे, करीना टोप्पो, दीप्ति ,माही डनसेना ,जिया नायक और रितु राठिया थे इस टीम को सी ई ओ अभिषेक कुमार का इंटरव्यू लेना था ।जब बच्चे उनके पास पहुंचे तो उन्होंने अपने व्यस्ततम समय से बच्चों के लिए समय निकाला और बच्चों की जिज्ञासाओं का समाधान किया ।अपने उत्तर में उन्होंने बच्चों को बताया कि वह किस तरह इस पद पर पहुंचे हैं और पढ़ाई में डिस्ट्रेक्शन ना हो इसके लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। उन्होंने बच्चों को यह भी बताया वे भी पहले इंजीनियर थे बाद में उन्होंने मेहनत की और आज इस पद पर हैं सी ई ओ के द्वारा बच्चों को यह भी बताया गया कि किस तरह प्री,मैंस और इंटरव्यू की तैयारी की जाती है। उनसे बात करने के बाद बच्चों में एक अलग ऊर्जा का संचार भी हुआ और उनका कॉन्फिडेंस भी बढ़ा।
तीसरी टीम का नाम द विज किड्स था । जिसका अर्थ है विशेषज्ञ बच्चे। इसमें रानी नाग, आंचल पैंकरा ,माधुरी पैंकरा ,गंगावती यादव, पूनम यादव और लक्ष्मी यादव शामिल थे ।इस टीम को जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद कुमार भटनागर का इंटरव्यू लेना था जब बच्चे वहां पहुंचे तो वे अपने काम में काफी व्यस्त थे। फिर भी उन्होंने बच्चों के लिए समय निकाला।बच्चों ने उनसे बहुत सारे प्रश्न उनके बचपन, उनकी पढ़ाई, उनके करियर के बारे में पूछा। जिसका उन्होंने बहुत अच्छे से जवाब दिया। उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि आपको मन लगाकर पढ़ाई करनी है। अभी के समय में बहुत सारी सुविधाएं सरकार के द्वारा दी जाती हैं पर हमारे समय में इतनी सुविधा नहीं थी। उन्होंने बताया कि वह ग्रामीण परिवेश से थे । बचपन में उतनी सुविधा नहीं थी,पर उनकी इच्छा शिक्षक बनने की थी ।इस विभाग में उन्हें 36 साल काम करते हुए हो चुके हैं । उन्होंने भी समय प्रबंधन पर विशेष जोर दिया और कहा कि बच्चों को खेलकूद भी करना चाहिए और टीवी भी देखना चाहिए पर इसके लिए सही समय का निर्धारण बहुत जरूरी है।
चौथी टीम का नाम ज्ञानोदय था। जिसका तात्पर्य है ज्ञान का उदय ।इस टीम में दीपेश्वर पैंकरा ,युवराज पैंकरा ,राजकुमार भगत, जितेंद्र सिंह , ईशांत प्रधान, आयुष आनंद यादव शामिल इन्हें एस डी एम विश्वास राव मस्के का साक्षात्कार लेना था इनके पास भी सवालों का पिटारा था ।लगातार आधे घंटे तक इन्होंने एस डी एम से प्रश्न पूछे और उन्होंने बहुत ही सहज तरीके से बच्चों के सवालों का उत्तर दिया इस साक्षात्कार में उन्होंने अपने बचपन ,अपनी रुचि, इस पद तक पहुंचने की कहानी सब कुछ बच्चों के साथ शेयर किया और अपने आप को समय देते हुए कैसे आप सफल हो सकते हैं ।इसके बारे में भी बच्चों को बताया। उन्होंने बच्चों को बताया की खेल और पढ़ाई दोनों ही जरूरी है। बस समय प्रबंधन जरूरी है।एक समय था जब एस डी एम स्वयं क्रिकेटर बनना चाहते थे अपने पसंदीदा खिलाडिय़ों के बारे में भी उन्होंने बात की और बच्चों से यह भी कहा कि आप मोबाइल का सही इस्तेमाल करें क्योंकि इसके लाभ और हानि दोनों है। और आपके अंदर का ज्ञान ही आपका आत्मविश्वास बढ़ाता है इसलिए ज्ञान बढ़ाने के लिए विषयों को समझना चाहिए रटना नहीं चाहिए।
पांचवीं टीम का नाम ज्ञानाग्नि था जिसका अर्थ है ज्ञान का प्रकाश।जिसमें पूजा चौहान, प्रतिभा लकड़ा, चंचल चक्रेश, डोली वैद्य ,प्रीति सिंह, प्रियंका सिंह और आंचल भगत शामिल थे। इस टीम को आत्मानंद अंग्रेजी माध्यम और संकल्प शिक्षण संस्थान के प्राचार्य तथा यशस्वी जशपुर के नोडल अधिकारी विनोद गुप्ता का साक्षात्कार लेना था। इस टीम के पास भी अपने प्रश्नों का पिटारा था ।जिसके लिए लगातार सभी सदस्यों ने उनसे प्रश्न पूछे और उन्होंने बच्चों को उसके उत्तर दिए। उन्होंने बच्चों को बताया कि वह इंडियन फॉरेस्ट सर्विस में जाना चाहते थे पर उस समय इतनी सुविधा नहीं थी जिसकी वजह से उन्हें अपने ड्रीम जॉब नहीं मिल पाया। उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि अभी जिस स्थान पर भी हैं वहां वे संतुष्ट हैं बच्चों ने उन से यहां तक पूछा कि क्या आपको बचपन में पनिशमेंट मिली है जिसका जवाब उन्होंने हंस कर दिया बिल्कुल पनिशमेंट मुझे भी मिली है। अपने अब तक के करियर के बारे में भी उन्होंने बच्चों से विस्तार पूर्वक बातें की और बच्चों के सभी सवालों का उत्तर भी उन्होंने दिया।
छठवीं टीम जिसका नाम एवरग्रीन था। जिसका अर्थ है सदाबहार। इस टीम में शालू भगत, नंदिनी बड़ा , देविका नाग , हर्षिता सिंह यमुना यादव और छाया यादव शामिल थे। इस टीम को विकासखंड शिक्षा अधिकारी कल्पना टोप्पो का साक्षात्कार लेना था। कल्पना मैम के द्वारा भी अपने बचपन, शिक्षा दीक्षा और अब तक के सफर के बारे में विस्तार पूर्वक बच्चों को जानकारी दी गई उन्होंने यह भी बताया कि 12 वीं तक किस तरह बिना बिजली के एक छोटे से गांव में उन्होंने पढ़ाई की। उन्होंने बच्चों को यह भी बताया की बचपन में आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं होने के बावजूद उन्होंने पढ़ाई मन लगाकर की और आज इस पद पर है। उन्होंने बच्चों को बताया कि जब कल्पना चावला के बारे में जब उन्होंने सुना तो उन्हें अपना आदर्श मान बैठी और उनकी तरह अंतरिक्ष में जाना चाहती थी ।उन्होंने बच्चों को यह भी बताया कि उन्हें स्पोर्ट्स में भी बहुत रुचि थी। इन सभी इंटरव्यू में बच्चों के साथ उनकी शिक्षिका सीमा गुप्ता थी। उन्होंने बताया कि बच्चों को कुछ अलग तरह के टास्क हमेशा देने चाहिए ताकि उनकी योग्यता का विस्तार हो और उनके अंदर आत्मविश्वास का संचार भी हो । उनका सोचना है की बच्चों को सिर्फ पढऩा जरूरी नहीं है।उनका सर्वांगीण विकास भी बहुत जरूरी है। उनके इस कार्य में उनके साथी शिक्षकों का भी प्रोत्साहन और सहयोग उनके साथ था।
जब बच्चों ने लिया अधिकारियों का साक्षात्कार
