रायगढ़। संगीत कला संस्कृति के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने वाले संगीत सम्राट से विभूषित राजा चक्रधर सिंह को भारतरत्न प्रदान करने की मांग कथक आचार्य डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा ने आज एक पत्रकार वार्ता के दौरान उठाई है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात का भी समर्थन किया कि राजा चक्रधर सिंह द्वारा रचित संगीत सम्बन्धी ग्रंथों का भी सार्वजनिक प्रकाशन किया जाना चाहिये जिससे संगीत के क्षेत्र में रूचि रखने वाले छात्र और लोग उससे अवगत हो सकें।
40 वें चक्रधर समारोह में कथक की प्रस्तुति देने के लिए पहुंचे राजनांदगांव के कथक आचार्य और राजा चक्रधर सिंह के नाम से पिछले 43 सालों से स्थापित मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ का पहला स्नातक संगीत महाविद्यालय चक्रधर कत्थक केन्द्र के संस्थापक डॉ. कृष्ण कुमार सिन्हा ने रायगढ़ में प्रेेस वार्ता ली। उन्होंने कहा कि वे रायगढ़ दरबार से ही ताल्लुक रखते हैं और रायगढ़ दरबार की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए हर साल राजनांदगांव में नि:शुल्क शिविर का भी आयोजन करते हैं। उनके महाविद्यालय में राजा चक्रधर सिंह के नाम से कई सम्मान भी दिये जाते हैं। उन्होंने कहा कि राजा चक्रधर सिंह एक अच्छे कुशल तांडव नृत्य अंग के जानकार थे। उन्होंने अनेक नृत्य बंदिशों की रचना की और रायगढ़ दरबार की नृत्य परंपरा को समृद्धशाली बनाया। साहित्य, नृत्य और संगीत के क्षेत्र में उनका योगदान अतुलनीय है। लिहाजा संगीत सम्राट राजा चक्रधर सिंह भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान यानी भारत रत्न पाने के असली हकदार हैं और वे इस मांग को शासन और प्रशासन के समक्ष उठा भी रहे हैं। एक सवाल के जवाब में कथक आचार्य डॉ. सिन्हा ने कहा कि लखनउ और जयपुर घराने का मिश्रण कर रायगढ़ घराना बनाया गया था मगर अन्य घरानों को वहां के स्थानीय लोगों, शासन और प्रशासन ने आगे लाने का काम किया जबकि रायगढ़ घराना को आगे ले जाने के लिए प्रयास नहीं किये गये। लिहाजा रायगढ़ घराना अपना वो मुकाम हासिल नहीं कर सका जितना अन्य घरानों ने किया। कथक आचार्य ने बताया कि महाराज चक्रधर सिंह संस्कृत, हिन्दी, ब्रज, उर्दु और अंग्रेजी भाषा साहित्य के विद्वान ही नहीं बल्कि उच्चकोटि के रचनाकार भी थे। उन्होंने हिन्दी में चक्रपिया के नाम से और उर्दु में फरहत के नाम से रचानायें लिखी और संगीत से सम्बंधित कई ग्रंथ भी उन्हें लिखे मगर अफसोस की बात यह है कि इसका लाभ संगीत से जुड़े लोगों और युवा पीढ़ी को नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा संगीत और साहित्य से जुड़े उन सभी ग्रंथों को सार्वजनिक कर संरक्षित किये जाने की जरूरत है ताकि इसका लाभ आने वाले पीढ़ी को मिले।
संगीत सम्राट चक्रधर सिंह को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए
डॉ कृष्ण कुमार सिन्हा,चक्रधर सिंह की संगीत सम्बन्धी कृतियों के प्रकाशन का समर्थन
