रायगढ़। ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह का तीसरे दिन कार्यक्रम की शुरुआत में स्थानीय बाल कलाकारों ने अपनी मनोहारी प्रस्तुतियों से दर्शकों का दिल जीत लिया। इसी कड़ी में रायगढ़ की प्रतिभावान कलाकार कुमारी नव्या सिंह ने मंच पर कथक की विविध विधाओं की उत्कृष्ट प्रस्तुति दी। उनकी सुन्दर भाव-भंगिमाएँ, सधे हुए पदचाप और नृत्य लय की लयबद्धता ने समारोह की गरिमा को और बढ़ा दिया।
नव्या सिंह ने नागेंद्र हराये… और मैया मोरी, मैं नहीं माखन खायो… जैसे गीतों पर भावपूर्ण नृत्य प्रस्तुत कर भक्ति और नृत्यकला का अनोखा संगम दर्शाया। बता दे कि कुमारी नव्या सिंह आयात कथक डांस एकेडमी रायगढ़ में अपनी गुरु तब्बू परवीन से कथक की शिक्षा प्राप्त कर रही। कुमारी नव्या सिंह कई बड़े मंचों में कथक नृत्य का प्रस्तुति भी दे चुकी है। 02 सितंबर को प्रणवम में अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित भी होने वाली है। उनकी प्रस्तुति के दौरान दर्शकदीर्घा तालियों की गडगड़़ाहट से गूंज उठी। उपस्थित दर्शकों ने इस युवा कलाकार की प्रतिभा और साधना को सराहते हुए उत्साहवर्धन किया।
कृष्णवी व अविका की कत्थक नृत्य ने दर्शकों का मोहा मन
चक्रधर समारोह के तीसरे दिन का मंच आज एक विशेष क्षण का साक्षी बना, जब बाल कलाकार सुश्री कृष्णवी सिंह और अविका मोटवानी ने अपनी मनमोहक कत्थक नृत्य प्रस्तुति से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बाल प्रतिभा के रूप में मंच पर उतरी वैष्णवी ने अपनी भाव-भंगिमा, नृत्य की लय और सधी हुई ताल से ऐसा समां बांधा कि उपस्थित जनसमूह तालियों की गडगड़़ाहट से सभागार गुंजायमान करता रहा। कार्यक्रम में वैष्णवी ने कत्थक की परंपरागत बंदिशों और भावपूर्ण मुद्राओं के साथ नृत्य प्रस्तुत किया। उनकी नन्ही उम्र में दिखाई दी परिपक्वता और नृत्य की निपुणता देखकर हर कोई आश्चर्यचकित रह गया। दर्शकों ने बार-बार तालियों की गूँज से उनका उत्साहवर्धन किया। बाल कलाकार के इस अद्भुत प्रदर्शन जैसी प्रतिभाएँ ही भारतीय शास्त्रीय नृत्य परंपरा को नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करती हैं। समारोह में बड़ी संख्या में कला-प्रेमी और स्थानीय नागरिक उपस्थित थे। कत्थक नृत्य की यह शानदार प्रस्तुति निश्चित ही चक्रधर समारोह के तीसरे दिन का मुख्य आकर्षण रही। बाल कलाकार सुश्री कृष्णवी सिंह और अविका मोटवानी अभी कत्थक की शिक्षा -गुरु तब्बू परवीन से प्राप्त कर रही है। कृष्णवी और अविका वर्तमान में कक्षा तीसरी में पढ़ाई कर रही है । इनकी रुचि बचपन से ही नृत्य में रही है। इन्होंने कलावत 2024, नाद मंजरी 2025, नटरंग 2025, चक्रधर समारोह (ग्रुप डांस) 2024, कलासंगम 2024, कौशल महोत्सव 2024, नाट्य नर्तन 2024, सरस मेला 2025 जैसे बड़े मंचों (राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय) पर नृत्य प्रस्तुत किया है।
अनंता व ऑजनेय पाण्डेय की शानदार प्रस्तुति
श्री गणेश वंदना और शिव आनंद तांडव से सजी महफिलअंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के मंच पर आज भवप्रीता डांस एकेडमी रायगढ़ ने अपनी गरिमामयी और ऊर्जावान प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की शुरुआत श्री गणेश स्तुति एवं यशकीर्ति से हुई, जिसके पश्चात् दर्शकों ने भोले बाबा के आनंद तांडव का अद्भुत आनंद लिया। विशेष आकर्षण रहा अनंता पाण्डेय का शानदार 25 चक्कर जिसने दर्शकों का विशेष ध्यान आकृष्ट किया। अनंता पाण्डेय, जो बारहवीं कक्षा की छात्रा हैं, पिछले छह वर्षों से नृत्य के क्षेत्र में सक्रिय हैं। वे राष्ट्रीय मंचों पर कई पुरस्कार जीत चुकी हैं, जिनमें कटक नेशनल डांस फेस्टिवल, जयपुर नेशनल कॉम्पीटिशन, अहमदाबाद नेशनल डांस फेस्टिवल, दिल्ली नेशनल डांस फेस्टिवल और काशी अस्सी घाट अंतरराष्ट्रीय डांस महोत्सव प्रमुख हैं।
अनंता न केवल एक नृत्यांगना हैं, बल्कि क्रिकेट, बास्केटबॉल और ताइक्वांडो में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर चुकी हैं। वहीं ऑजनेय पाण्डेय, जो ओ.पी. जिंदल यूनिवर्सिटी में बीबीए अंतिम वर्ष के विद्यार्थी हैं, ने भी अपनी दमदार प्रस्तुति से दर्शकों को भावविभोर किया। वे चक्रधर समारोह 2023 के साथ-साथ काशी अस्सी घाट अंतरराष्ट्रीय आयोजन और ओ.पी. जिंदल टेक्नो नेशनल फेस्टिवल में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर चुकी हैं। भवप्रीता डांस एकेडमी की स्थापना वर्ष 2020 में हुई थी और आज यह संस्था सैकड़ों बच्चों को नृत्य, फोक, वेस्टर्न, हिप-हॉप, स्टंट, सेल्फ-डिफेंस और पर्सनालिटी डेवलपमेंट की शिक्षा दे रही है। नृत्य निर्देशन एवं कोरियोग्राफी दिव्या साकेत पाण्डेय द्वारा किया गया। प्रस्तुति देने वाले कलाकारों में आँजनेय पाण्डेय, सौम्या भारती, संस्कृति दुबे, सिया दुबे, सजदीप सलूजा, शौर्य मिश्रा, देवांशी ठेठवार, आशिता गुप्ता, चारु खिलवानी, प्रिंसेस कुमारी और अनंता पाण्डेय शामिल रहे।
वीरांगना रानी दुर्गावती की जीवनी नाट्य रूप में हुई जीवंत
नृत्य नाटिका समारोह में बना आकर्षण का केंद्र
अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के तीसरे दिन दर्शकों को नृत्य और संगीत की विविध विधाओं का अद्भुत संगम देखने को मिला। देश-प्रदेश से आए कलाकारों की प्रस्तुतियों ने जहां समारोह की गरिमा को बढ़ाया, वहीं जबलपुर (मध्यप्रदेश) से पहुंचे संस्कार भारती महाकौशल प्रांत की टीम ने अपनी ऐतिहासिक नृत्य नाटिका से दर्शकों के हृदय को गहराई तक छू लिया। नाट्य विधा प्रमुख कमलेश यादव के नेतृत्व में प्रस्तुत गोंडवाना की वीरांगना रानी दुर्गावती पर आधारित नृत्य नाटिका समारोह का आकर्षण का केंद्र बनी। मंचन में रानी दुर्गावती के जन्म से लेकर विवाह और मुगल साम्राज्य के विरुद्ध उनके शौर्यपूर्ण संघर्ष को अत्यंत प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया। वीरांगना की अदम्य साहस, पराक्रम और बलिदान को कलाकारों ने अपनी सजीव भाव-भंगिमाओं और भावपूर्ण संवादों के माध्यम से इस तरह चित्रित किया कि दर्शकगण भाव-विभोर हो उठे। नृत्य, संगीत और नाट्य का अद्भुत संगम इस प्रस्तुति में दिखाई दिया। विशेष रूप से युद्ध के प्रसंग और रानी की वीरता के दृश्यों ने दर्शकों में देशभक्ति और गौरव की भावना का संचार किया।
भाव, ताल और लय का देखने को मिला अद्भुत संगम
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त चक्रधर समारोह के तीसरे दिन रायपुर की युवा एवं प्रतिभाशाली कथक नृत्यांगना सुश्री अंजली शर्मा ने अपनी नृत्य प्रतिभा से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने गणेश वंदना, दुर्गा स्तुति और शिव पंचाक्षर स्त्रोत पर आधारित कथक की भावपूर्ण एवं मनमोहक प्रस्तुति दी। इसके साथ ही तिहाई और तोड़े-टुकड़ों की बारीक पेशकश ने कार्यक्रम की गरिमा को और भी बढ़ा दिया। उनकी प्रस्तुति में भारतीय संस्कृति की गहराई और शास्त्रीय नृत्यकला की समृद्ध परंपरा का सजीव दर्शन हुआ। बता दे कि सुश्री अंजली शर्मा पिछले 12 वर्षों से शास्त्रीय कथक का अभ्यास कर रही हैं और अब तक देशभर के 50 से अधिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियाँ दे चुकी हैं। उनकी नृत्य शैली में भाव, ताल और लय का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिलता है, जो दर्शकों के हृदय को गहराई तक स्पर्श करता है। उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में भी भाग लिया है और अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन से सम्मान अर्जित किया है। कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित दर्शकों ने तालियों की गडगड़़ाहट से उनका उत्साहवर्धन किया।
तमिलनाडु के भरतनाट्यम की मनमोहक प्रस्तुति ने दर्शकों को किया आनंदित
40वें चक्रधर समारोह के तीसरे दिन रामलीला मैदान में आयोजित सांस्कृतिक संध्या का वातावरण उस समय रोमांचित हो उठा जब बेंगलुरु से पहुंची भरतनाट्यम गुरु श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम ने मंच पर दक्षिण भारत, तमिलनाडु के भरतनाट्यम की भव्य प्रस्तुति दी। भाव-भंगिमाओं और सधी हुई मुद्राओं से सजे इस नृत्य ने उपस्थित दर्शकों को आनंद और सौंदर्य का अद्भुत अनुभव कराया। श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम द्वारा आज चक्रधर समारोह में भगवान शिव, मां दुर्गा, मां महिषासुर मर्दानी की स्तुति पर आधारित भक्तिमय प्रदर्शन से लोगों को भाव विभोर किया। श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम ने भरतनाट्यम की परंपरागत शैली में विभिन्न रचनाओं को प्रस्तुत किया। नृत्य की लय, गति और भाव-प्रदर्शन ने दर्शकों को भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गहराई से जोड़ दिया। मंच पर जब एक-एक भाव और मुद्रा सजीव हुई तो पूरा मैदान तालियों से गूंज उठा। गौरतलब है कि श्रीमती बाला विश्वनाथ और उनकी टीम ने भरतनाट्यम की प्रस्तुतियों से अपनी एक अलग पहचान बनाई है। उनकी कला ने विभिन्न मंचों पर भारतीय शास्त्रीय नृत्य की गरिमा को बढ़ाया है। गुरु श्रीमती बाला विश्वनाथ दूरदर्शन की ग्रेडेड कलाकार हैं। उदया टी वी, जया टी वी, चंदन टी वी आदि दक्षिण भारतीय चैनलों पर उनके नृत्य कार्यक्रम निरंतर प्रसारित होते हैं। ऐसे कला निपुण कलाकार भारतीय संस्कृति और शास्त्रीय नृत्य की परंपरा को आगे बढ़ाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। दर्शकों ने भी इस अद्भुत प्रस्तुति को अविस्मरणीय बताते हुए मुक्तकंठ से प्रशंसा की। तीसरे दिन की यह संध्या निश्चित रूप से 40वें चक्रधर समारोह के इतिहास में आज एक सुनहरा अध्याय बनकर दर्ज हुई।