रायगढ़। आज सावन के अंतिम सोमवार को जिलेभर के शिवालयों में श्रद्धा और आस्था की बाढ़ है। कोसमनारा स्थित सत्यनारायण बाबा धाम में लाखों की भीड़ उमड़ी हुई है। श्रद्धालु दूर-दराज के गांवों से लेकर दूसरे राज्यों से भी दर्शन के लिए पहुंचे हैं। लेकिन इस भीड़ प्रबंधन की जिम्मेदारी जिनके कंधों पर है, वे या तो आंखें मूंदे बैठे हैं या हादसे का इंतजार कर रहे हैं।
हर साल सावन में लगने वाली इस भीड़ के बावजूद, प्रशासन ने कोई ठोस व्यवस्था नहीं की। सबसे शर्मनाक और चिंताजनक स्थिति यह है कि कोसमनारा जाने वापस सवारी को मालवाहक वाहनों में जानवरों की तरह ठूंस-ठूंस कर लाया जा रहा है। पिकअप, छोटा हाथी और ट्रैक्टर जैसे माल ढोने वाले वाहनों में क्षमता से कई गुना अधिक सवारियां भरी जा रही हैं। जिन वाहनों को माल उठाने के लिए बनाया गया, उन्हीं में इंसानों की जिंदगी से खिलवाड़ हो रहा है। यह पहली बार नहीं है जब इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। हर साल ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं, कई बार हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन की चेतावनियां कागजों तक ही सिमटकर रह जाती हैं। ना कोई ठोस कार्यवाही, ना कोई जवाबदेही! श्रद्धालु नियमों को जानबूझकर नहीं तोड़ रहे बल्कि वे मजबूर हैं, क्योंकि वैकल्पिक सुरक्षित परिवहन व्यवस्था का घोर अभाव है। भीड़ के लिहाज से प्रशासन की रणनीति आधी-अधूरी नजर आती है। ऐसे आयोजनों में श्रद्धालुओं की आस्था को सुरक्षित पहुंच और सुविधाओं के साथ समर्थन देना प्रशासन की नैतिक और संवैधानिक जिम्मेदारी है, लेकिन वह जिम्मेदारी आज महज औपचारिक चेकिंग तक सिमट कर रह गई है। आखिर कब तक भीड़ प्रबंधन के नाम पर लोगों की जान से खिलवाड़ होता रहेगा ? क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे की प्रतीक्षा कर रहा है?.क्यों साल दर साल दोहराई जाने वाली इस लापरवाही पर कोई स्थायी समाधान नहीं खोजा गया?
माल वाहक पिकअप में जानवरों की तरह भरे जा रहे इंसान
