बरमकेला। सावन का पूरा महिना शिवमय धार्मिक वातावरण से सरोबार रहता है ख़ासकर सोमवार को पूजा अर्चना करने एवं जलाभिषेक कर भगवान शिव का आशीर्वाद पाने सभी शिवालयों में भीड़ उमड़ती है किन्तु बरमकेला से लगभग 30 कि. मी. दूर उड़ीसा के आम्बाभौना में केदारनाथ शिव मंदिर में भगवान शिव का पूजा अर्चना और जलाभिषेक करने कावडिय़े एवं भक्त गण छत्तीसगढ़ से हजारों कि संख्या में उड़ीसा पहुंचते हैं, जिसके कारण सुबह से देर रात्रि तक भक्तों कि लम्बी कतारें लगती है.
इस केदारनाथ शिव मंदिर कि बिशेषताओं एवं मान्यताओं का जहाँ तक सवाल है. इस स्वयंभू शिव मदिर मना जाता है. जहाँ भगवान शिव स्वयं प्रकट हुए है. यहां के पुजारियों के बताये अनुसार जहाँ भगवान शिव प्रकट हुए उक्त स्थल पर एक गाय आकर अपने दूध से भगवान शिव का अभिषेक करती थी जिसे लोगों ने देखा और पूजा अर्चना शुरू किया. यह बात वे पीढ़ी दर पीढ़ी पूर्वजों से सुनते आ रहे हैं. जहाँ तक मंदिर निर्माण कि बात है. इस मंदिर का निर्माण संबलपुर राजा बलिहार सिंह द्वारा कराये जाने कि बात कही एवं सुनी जाती है.यहाँ पर परिसर में प्राचीनतम मुर्तिया और देवी देवताओं के और भी मूर्ति विराजित हैं.
इस मंदिर में भगवान शिव का आशीर्वाद पाने उड़ीसा और छत्तीसगढ़ दोनों राज्यों के भक्तो कि अपार भीड़ होती है. यही कारण हैं कि यहाँ पर सावन भर दुकानों का मेला लगा हुआ है. इस स्थल को लगातार विकसित किया जा रहा और घूमने के लिए गार्डन के साथ साथ आसपास प्राकृतिक स्थल और बरापहाड़ जंगल भी है.जंगल के तलहड़ी में होने के कारण प्राकृतिक सुंदरता अनुपम है.किन्तु इसका महत्व एवं आस्था का केंद्र लोगों कि मनोकामना पूरी होना है. सच्चे मन से अच्छे काम के लिए मांगी गई हर मन्नते पूरी होती है ऐसी यहां आने वाले भक्तों का विस्वास है. यह सोमवार सावन का अंतिम सोमवार होने के कारण बहुत अधिक भिंड होना स्वाभाविक है किन्तु यहां पहुंचने मात्र से भगवान शिव का आशीर्वाद जरूर मिलता है. आमाभोना का केदारनाथ शिव मंदिर छत्तीसगढ़ के श्रद्धांलुओं के कारण अपार भीड़ होता है किन्तु फिर भी यहां भगवान का दर्शन कर आशीर्वाद पाने जरूर जाना चाहिए.
मोहन नायक (पत्रकार), बरमकेला
छत्तीसगढ़ के शिवभक्तों के लिए आस्था का केंद्र है उड़ीसा का केदारनाथ शिव मंदिर
आम्बाभौना में स्थित है यह मंदिर, जहाँ विराजित हैं स्वयंभू शिव
