सरसींवा। छग के सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में बहुचर्चित रोशनी फाउंडेशन ठगी प्रक. में विशेष न्यायाधीश जितेंद्र कुमार जैन की अदालत ने ऐतिहासिक निर्णय देते हुए मुख्य आरोपी नारायण दास मानिकपुरी को आजीवन कारावास एवं ?1.80 करोड़ के कठोर अर्थदंड की सजा सुनाई है। यह निर्णय उन सैकड़ों पीडि़त निवेशकों के लिए न्याय का उजास लेकर आया है, जिनसे करोड़ों रु. यह कहकर वसूले गए थे कि – उन्हें प्रतिमाह 30 प्रतिशत का रिटर्न व एक वर्ष पश्चात संपूर्ण मूलधन लौटाया जाएगा। इस गंभीर आर्थिक अपराध का पर्दाफाश करने में निर्णायक भूमिका निभाई थाना सरसींवा के सहायक उपनिरीक्षक ्रस्ढ्ढ टीकाराम खटकर ने, जिनकी निष्पक्ष, प्रमाण आधारित व विधिक विवेचना ने मामले को न्यायालय में मजबूती के साथ प्रस्तुत किया।
27 जनवरी 24 को अर्जुन लाल जांगड़े सहित लगभग 27 पीडि़तों ने थाना सरसींवा में की गई शिकायत के अनुसार, सेमरिया गांव में नारायण मानिकपुरी ने रोशनी फाउंडेशन के नाम से एक निवेश योजना चलाई, जिसमें लोगों को चेक और नकद के माध्यम से धन निवेश के लिए प्रेरित किया गया। जब समय सीमा पूरी होने के बाद भी कोई भुगतान नहीं हुआ तब यह मामला उजागर हुआ और विवेचना के दौरान यह सामने आया कि – लगभग 250 लोगों से ?9 करोड़ 28 लाख 5 हजार रुपए की ठगी की गई थी। उक्त समय के थाना प्रभारी सरसींवा, वर्तमान कनकबीरा चौकी प्रभारी स. उप निरीक्षक टीकाराम खटकर द्वारा की गई गहन और सटीक विवेचना में यह स्पष्ट रूप से स्थापित किया गया कि – यह एक पूर्व नियोजित, योजनाबद्ध और संगठित आर्थिक अपराध था, जिसमें मुख्य आरोपी के साथ-साथ अन्य सहयोगियों की भी सक्रिय भूमिका रही।अदालत ने मामले की गंभीरता, निवेशकों की आर्थिक क्षति तथा आरोपी की आपराधिक मानसिकता को ध्यान में रखते हुए यह कठोर दंड सुनाया है।
प्रकरण के मुख्य आरोपी नारायण मानिकपुरी को भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी) के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं रू. 75 लाख अर्थदंड धारा 409 आपराधिक न्यासभंग के तहत आजीवन कारावास एवं रू.1 करोड़ अर्थदंड छग निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम, 2005 की धारा 10 के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं रू. 5 लाख जुर्माना। सहअभियुक्त रेशम कैवर्त, घासीदास मानिकपुरी नान्हूदास मानिकपुरी एवं सुखदेव कठौतिया को धारा 420 के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं रू. 2 लाख जुर्माना उक्त अधिनियम की धारा 10 के तहत 3 वर्ष सश्रम कारावास एवं रू. 1.80 लाख जुर्माना धारा 6 के तहत 3 माह सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई।
इस प्रकरण में न्यायालय ने राज्य की ओर से लोक अभियोजक पीएन. गुप्ता की दलीलों को स्वीकार करते हुए कहा कि – आरोपियों ने गरीब जनता की गाढ़ी कमाई को छल पूर्वक हड़पकर सामाजिक विश्वास को गहरी ठेस पहुँचाई है, और ऐसे कृत्यों पर यदि कठोर संदेश न दिया जाए, तो समाज में कानून का भय समाप्त हो जाएगा। इस पूरे प्रकरण में ्रस्ढ्ढ टीकाराम खटकर की विवेचना न्यायिक प्रक्रिया की रीढ़ बनी, जिसमें तथ्यों की सूक्ष्म पड़ताल, पीडि़तों के सटीक बयान, आर्थिक लेन-देन के प्रमाण और अभियुक्तों की भूमिका को विधिक भाषा और प्रक्रिया में इस प्रकार प्रस्तुत किया गया कि न्यायालय के समक्ष सत्य निर्विवाद रूप से प्रमाणित हुआ। यह फैसला न केवल आर्थिक अपराधियों के लिए एक स्पष्ट चेतावनी है, बल्कि यह भी प्रमाण है कि – जब विवेचना निष्पक्ष, गहन और संवेदनशील हो, तो न्याय निश्चित होता है। ्रस्ढ्ढ खटकर की कार्यशैली आने वाले समय में कानून के विद्यार्थियों और विवेचकों के लिए अनुकरणीय उदाहरण के रूप में याद की जाएगी।
एएसआई टीकाराम खटकर की निष्पक्ष विवेचना से हुआ न्याय स्थापित
रोशनी फाउंडेशन द्वारा रू. 9.28 करोड़ की ठगी मामले में मुख्य आरोपी को आजीवन कारावास, 1.80 करोड़ अर्थदंड
