रायगढ़। स्कूलों में मिलने वाले सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस ) की राशि का बंदरबाट कर गड़बड़ी पर घरघोड़ा बीइओ ने संज्ञान लिया था। जांच के आदेश दिए गए। जांच 60 प्रतिशत पूर्ण होने तक आधा दर्जन गड़बड़ी सामने आई। जबकि भौतिक सत्यापन होने पर स्कूलों में होने वाले भ्र्ष्टाचार की पोल परत दर परत खुलना तय है।
विदित हो कि शासन द्वारा शाला विकास अनुदान के तहत राशि दिया जाता है ताकि स्कूलों में छोटी बड़ी जरूरत की और अन्य कार्यो को पूरा कराया जा सके। जिससे स्कूल की व्यवस्था बरकरार रहे। इस पीएफएमएस यानी सार्वजनिक के माध्यम से स्कूलों के प्रधानाचार्य राशि का उपयोग शाला विकास के मद्देनजर करते है। इस राशि के दुरुपयोग करने के लिए घरघोड़ा समेत अमूमन जिले सभी तहसील में स्कूलों की जरूरतों के नाम पर बनाई जा रही खरीदी की फाइलें सिर्फ कागजों में चल रही हैं। फर्जी बिल तैयार कर, शिक्षक रजिस्टर्ड फर्मों के बजाय खुद के रिश्तेदारों या जान-पहचान वालों के नाम से भुगतान कर रहे हैं।
कई मामलों में जीएसटी नंबर ही नहीं है, जिससे शासन को राजस्व में सीधा नुकसान हो रहा है। सामग्री स्कूलों तक नहीं पहुंचती, पढऩे वाले बच्चों को इसका लाभ नही मिल पाता है और सरकारी व्यवस्था को पालकगण कोसते है। बोगस बिल से यह राशि का बंदरबांट हो रहा है। लेकिन बैंक खातों में रकम ट्रांसफर हो जाती है। विभागीय मिलीभगत के बिना इतने बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार संभव होना बेइमानी प्रतीत हो रहा है। ऐसे में नईदुनिया ने पीएफएमएस को लेकर प्रमुखता से खबर प्रकाशित किया था, जिसे लेकर जांच का आदेश भी दिया गया है। वहीं, तत्कालीन बीइओ के बताए अनुसार 60 फीसद जांच पूर्ण हुई थी, जिसमें 6 से 7 स्कूलों में गड़बड़ी मिली है। बहरहाल यह जांच अगर पारदर्शिता के साथ किया जाए तो कई नामचीन स्कूल तथा शिक्षकों की करस्तानी की पोल खुलना तय है।
पुराने बीईओ हुए सेवानिवृत्त नए को जांच का जिम्मा
घरघोड़ा में पदस्थ तत्कालीन ब्लाक शिक्षा अधिकारी ने इस मसले पर संज्ञान में रहते हुए जांच का आदेश दिया था जिसमें 60 प्रतिशत उनके कार्यकाल में जांच भी पूर्ण की गई थी, उनके बताए अनुसार स्कूलों से प्राप्त बिल की जांच में गड़बड़ी मिली थी। जिस पर संबंधित स्कूल के शिक्षक प्रधान पाठक को नोटिस भी देने की तैयारी चल रही थी। इसी दौरान उनका कार्यकाल अधिवार्षिकी पूर्ण होने पर सेवामुक्त हो गए, ऐसे में नए बीइओ पर जांच का जिम्मा है ताकि स्कूल और बच्चों को मिलने वाली सुविधाओं पर पडऩे वाले डाका पर रोक लगाया जा सके।
खरीददारी की सच्चाई सत्यापन करेगी स्पष्ट
सूत्रों के मुताबिक पीएफएमएस राशि से कई तरह की बोगस खऱीदी भी की जाती है और फर्जी बिल वह भी बैगेर जीएसटी एवं बैगेर रजिस्टर्ड फर्म के द्वारा किया जाता है। वहीं इसकी प्रमाणित सच्चाई के लिए अगर भौतिक सत्यापन होता है तो खरीददारी की सच्चाई सामने आना तय है।
इस सम्बंध में जांच में अगर कोई गड़बड़ी पाई जाती है तो नियामानुसार वैधानिक कार्रवाई को जाएगी। इस पर आज बैठक में भी चर्चा की जाएगी। पुराने जांच आदेश के बारे में मुझे नही पता है।
संतोष सिंह, ब्लाक शिक्षा अधिकारी घरघोड़ा
60 फीसद जांच में आधा दर्जन स्कूलों के बिल भुगतान में गड़बड़ी
भौतिक सत्यापन में खुलेगी पोल
