रायगढ़। जिले में हरेली पर्व को परंपरागत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। जिले के कई गांवों में यह पर्व एक दिन पहले मनाया गया, जबकि कुछ स्थानों पर आज विधिवत आयोजन हुए।
हरेली को हरियाली और समृद्धि का प्रतीक पर्व माना जाता है, जो हर साल सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों में इस पर्व को लेकर सामूहिक पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक आयोजनों का आयोजन होता है। बोईरदादर में हरेली पर्व के अवसर पर देवालय के पुजारी द्वारा ग्राम देवता ठाकुरदेव, मां मानकेसरी और मां समलाई का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक कर पूजा की गई। इसके बाद विनोबा नगर और बोईरदादर से आए श्रद्धालुओं ने सामूहिक रूप से पूजा अर्चना कर अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना की। इस दौरान वॉर्ड के बच्चों और युवाओं ने गेड़ी चढक़र हरेली पर्व की खुशियां मनाईं।
कृषि औजारों की विधिपूर्वक पूजा
हरेली पर्व की एक खास परंपरा के तहत किसानों द्वारा अपने कृषि औजारों जैसे कुदाली, फावड़ा, गैती और हल की विधिवत पूजा की गई। किसान इस पर्व को जुताई, बोवाई और रोपाई के कामों के बाद विश्राम और कृतज्ञता के प्रतीक के रूप में मनाते हैं। जिले के कई गांवों में बुधवार को भी हरेली पर्व मनाया गया, जिसमें ग्रामीणों ने परंपराओं के अनुरूप पूजा-अर्चना और सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लिया।
बोईरदादर में पारंपरिक उत्साह के साथ मनाया गया हरेली त्यौहार
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी बोईरदादर में छत्तीसगढ़ की लोक परंपरा और संस्कृति को जीवंत रखते हुए हरेली त्यौहार बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया गया। आयोजन का नेतृत्व पूर्व पार्षद लालचंद यादव द्वारा किया गया।
त्यौहार की शुरुआत ग्राम के ठाकुरदेव, मां मानकेसरी एवं मां समलाई की विधिवत पूजा-अर्चना से हुई। देवालय के पुजारी द्वारा पहले जलाभिषेक और फिर दूधाभिषेक कर ग्राम देवताओं को नमन किया गया। इसके पश्चात विनोबा नगर तथा बोईरदादर से आए श्रद्धालुओं और वॉर्डवासियों ने पारंपरिक विधि से पूजा कर अपने घर-परिवार की सुख, शांति और समृद्धि की कामना की।
कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा गेड़ी चढऩा, जिसमें बच्चों और युवाओं ने बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। मुख्य चौक पर गेड़ी चढ़ते हुए उन्होंने एक-दूसरे को हरेली की बधाइयाँ और शुभकामनाएँ दीं। इस पारंपरिक आयोजन ने सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत की झलक को पुनर्जीवित किया।