रायगढ़। छत्तीसगढ़ में ग्रीष्मकालीन धान भी बहुतायत मात्र में उत्पादित किया जाता है लेकिन किसानों को इसका उचित मूल्य सरकार नहीं देती। किसान खुले बाजार में व्यापारियों को 15 सौ रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बेच रहे हैं। वहीं ओडिसा की सरकार ग्रीष्मकालीन धान को भी खरीद रही है। किसान अपने खाते के पंजीयन के आधार पर 23 सौ रुपए केंद्रीय सरकार द्वारा निर्धारित भाव में बेच रहे हैं। छत्तीसगढ़ में किसान ओन पौन भाव में बेचने मजबूर हैं ऐसे में ओडिसा के व्यापारी अपने सरहदी क्षेत्र छत्तीसगढ़ आकर स्थानीय व्यापारियों से पचास रुपए प्रति क्विंटल अधिक दर पर खरीद कर ओडिसा ले जा रहे हैं। गत दिवस रायगढ़ कृषि उपज मंडी सचिव को जानकारी मिली कि ओडिसा के व्यापारी ग्राम जुडड़़ा के पास दो पिकअप वाहन क्रमांक ओआर-15 एफ 4315 और ओआर 09 एच 6287 दोनों वाहन में क्रमश: 42-42 क्विंटल धान लोड था को रोक कर पूछताछ किया। मंडी एक्ट के तहत लाइसेंस और अन्य कागजात नहीं दिखाई गई। ऐसे में उक्त दोनों पिकअप वाहनों के व्यापारी संजीत खडिय़ा और तेजराम रोहिदास दोनों ग्राम बारखडिया ओडिसा के खिलाफ चलानी कार्यवाही की गई। दोनों वाहनों का प्रति वाहन पर लोड धान के वजन के आधार पर प्रशमन शुल्क पांच हजार रुपए, मंडी शुल्क 5355 रुपए ,कृषक कल्याण शुल्क 1785 रुपए,और निराश्रित शुल्क 143 रुपए इस तरह 12283 रुपए प्रति पिकअप वाहन चालानी रसीद काटी गई। वही स्थल पर ही व्यापारियों ने महंत को रकम अदा कर दी। दोनों ही व्यापारियों ने इस संवाददाता को बताया कि उनसे मंडी अधिकारियों ने 40 हजार रुपए नगद लेकर 15 हजार रुपए की रसीद थमा दी गई है। इस संबंध में मंडी सचिव ने कहा कि दोनों वाहनों को पकड़ा गया था और व्यापारी लाइसेंस और अन्य कागजात नहीं पाए जाने पर मंडी एक्ट के तहत चालानी कार्यवाही की गई है। चालीस हजार रुपए देने की बात सरासर गलत है। आपको बता दें कि मीडिया को इसकी खबर लगीं और छान बिन की तो मीडिया को रसीद दिखाने में लेटलतीफी की गई तथा आनन फानन में रसीद काटी गई है जहां जिसमे दो रसीद को गलत होने पर रिजेक्ट भी किया गया है। वहीं मंडी नियमों के तहत प्रशमन शुल्क नियमत: दस हजार रुपए लेने चाहिए जबकि 5हजार रुपए काटे गए हैं। यह भी जांच का विषय है।



