रायगढ़। नंदगोपाल, जो एक छोटे किसान हैं, ने मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) की सहायता से अपने खेत में निजी डबरी का निर्माण किया। इस डबरी ने उनके जीवन में बड़ा परिवर्तन लाया और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में जल प्रबंधन का एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत किया।
रायगढ़ जिला मुख्यालय से 30 कि.मी. दूर जनपद पंचायत खरसिया के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत अंजोरीपाली के लघु कृषक नंद गोपाल राठिया पिता श्री मनीराम राठिया ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजनांतर्गत डबरी का निर्माण का कार्य करवाया गया। जिसका मुख्य उद्वेश्य खेतों को सिंचाई के लिये पानी का भण्डारण करना है। नंदगोपाल के गांव में खेती का मुख्य आधार वर्षा थी। सीमित सिंचाई सुविधाओं के कारण फसल उत्पादन में अनिश्चितता बनी रहती थी, जिससे उनकी आय पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता था। पानी की कमी के कारण वे रबी की फसल उगाने में भी असमर्थ थे। ऐसे में मनरेगा उनके जीवन में खुशहाली लाने का काम किया, जब प्रस्ताव तैयार कर उसे जिला प्रशासन के माध्यम से 1.65 लाख रूपए की प्रशासकीय मंजूरी दी गई। इससे मनरेगा योजना के तहत उन्हें अपने खेत में निजी डबरी बनाने की अनुमति मिली। इस योजना के अंतर्गत मजदूरी के साथ-साथ सामग्री का खर्च भी वहन किया गया। डबरी के निर्माण से जहां नंदगोपाल के परिवार को रोजगार मिला, वहीं गांव के अन्य मजदूरों को भी काम के अवसर प्राप्त हुए। बारिश का पानी डबरी में संग्रहीत होने लगा और इससे भूमिगत जलस्तर बढऩे लगा। नंदगोपाल खरीफ के अलावा रबी की फसल भी उगा पा रहे हैं, जिससे उनकी आय में वृद्धि हुई। डबरी में मछली पालन शुरू करने से उनकी आमदनी का एक अतिरिक्त स्रोत विकसित हुआ। गर्मियों में भी डबरी से पशुओं के लिए पानी उपलब्ध रहता है, जिससे पशुपालन में भी सहूलियत हुई। नंदगोपाल की यह सफलता मनरेगा योजना के सकारात्मक प्रभाव का प्रमाण है। इस डबरी ने न केवल उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारा बल्कि जल संरक्षण और सतत कृषि का आदर्श भी प्रस्तुत किया। यह कहानी अन्य किसानों के लिए प्रेरणा है कि छोटे-छोटे प्रयासों से भी बड़े परिवर्तन लाए जा सकते हैं। इस तरह की मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों में जल संकट को कम करने और रोजगार के अवसर बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
निजी डबरी से नंदलाल के सपनों ने ली करवट, सूखे से मिली खेतों को मुक्ति
