रायगढ़। 14 अप्रैल को जिला बहुजन समाज पार्टी,के तत्वावधान में, परम् पूज्य बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी की जयंति के शुभ अवसर पर बाइक रैली, संगोष्ठी और जागृति जत्था का भव्य आयोजन किया गया जिस में हज़ारों की संख्या में नागरिक शामिल हुए जिन में विधान सभा लैलूंगा, धरमजयगढ़, खरसिया और रायगढ़ की उल्लेखनीय उपस्थिति रही. सर्व प्रथम स्थानीय चक्रधर नगर में स्थित बाबा साहब भीम राव अम्बेडकर जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया जहाँ से बाइक रैली निकाली गई जो चक्रधर चौक, हाउसिंग बोर्ड, विजय पूर, बेलदुला, हेमूकलानी चौक, शीतला मंदिर, चांदनी चौक, बागतालाब, मधुबन पारा, चांदमारी, इंदिरा नगर, पूछापारा लक्ष्मी पूर, बापू नगर, ढीमरापुर चौक, जगत पूर रामभाठा, संजय मैदान, कोतरा रोड सत्ती गुड़ी चौक, स्टेशन चौक, सुभाष चौक, गोरी शंकर मंदिर, शहीद चौक, कया घाट, मिठूमुड़ा, ट्रांसपोर्ट नगर, हीरा नगर, कबीर चौक, डॉ. अम्बेडकर नगर, अंत में कांशीराम चौकगाँधी नगर मे बाइक रैली का समापन किया गया इसके पश्चात विचार संगोष्ठी प्रारम्भ हुई मुख्य अतिथि बहुजन समाज पार्टी प्रदेश महा सचिव राधे श्याम सूर्यवंशी रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता बसपा जि़लाध्यक्ष सय्यद शहबाज़ रिज़वी द्वारा किया गया. विशिष्ट अतिथियों में सर्व मुमताज़ भारती (प्रमुख्य वक्ता) हर्ष सिंह ठाकुर, जावेद अली, स्थानीय बसपा वार्ड पार्षद अमरनाथ रात्रे, सर्व पूर्व पार्षद गण यथा राम कृष्ण खटर्जी, हरि टंडन, श्रीमती पदमा रात्रे, श्रीमती रामशीला साहू, श्रीमती अनीता यादव, बून्द राम सिदार, बसपा जिला के पदा धिकारी गण शुभ चिंतक उअस्थित रहे.बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर जी के तेल चित्र पर पुष्प अर्पण एवं मान्यवर. कांशी राम साहब के प्रतिमा पर माल्यार्पण पश्चात् मुख्य अतिथि सूर्यवंशी द्वारा अपने. अविभाषण में बसपा के साथियों को मूवमेंट को गति देने की अपील की गई तथा बाबा साहब के जीवन संघर्ष और उनके उपदेशों को आत्मसात करने की बात कही.संगोष्ठी के प्रमुख वक्ता रायगढ़ के वरिष्ठ विचारक मुमताज़ भारती द्वारा अपने उदबोधन में बाबा साहब डॉक्टर भीम राव अम्बेडकर कोअथक योद्धा की संज्ञा देते हुए कहा कि वो किसके विरुद्ध युद्ध कर रहे थे उसे स्पष्ट रूप से जानना पड़ेगा, अगर हम जान जाएंगे कि ये युद्ध किन केसाथ है? और क्यों है? तब हम जान पाएंगे कि अम्बेडकरवाद एक विचार है,एक आंदोलन है. एक मिशन है तभी हम बहुत समझदारी के साथ इस से शामिल हो सकेंगे और आगे बढ़ा पाएंगे, बाबा साहब डॉ. भीम राव अम्बेडकर 134 वर्ष पहले पैदा हुए और अपने जीवन काल में भेदभाव, जातिवाद, का दंश कितना झेला उसे आज की पीढ़ी नहीं जानती, छुवा छूत अपने चरम सीमा पर थी बाबा साहब को प्राइमरी स्कूल में पीछे दरी पर बिठाया जाता था ताकि स्वर्णो से इनका शरीर टच न हो सके, इसे ही बाबा साहब ने ब्राह्मणवाद के नाम से जाना,यही मनुवाद था, जिसे डॉ. भीम राव अम्बेडकर ने सन 1928 में पुणे में जाकर एक ब्राह्मण बस्ती के बीच मनु स्मृति का दहन किया था,ये बाबा साहब की वैचारिक शक्ति थी ही साथ ही उनके हिम्मत की बात भी थी, मज़े की बात यह थी कि मनु स्मृति जलाने मे बाबा साहब के साथ एक ब्राह्मण व्यक्ति थे जिन का नाम सहसबुद्धे था बब्रह्मणों में भी अच्छे लोग होते हैँ जिसे बाबा साहब ने स्पष्ट रूप से समझाया है लेकिन ब्रह्मणवाद अच्छा नहीं क्यों की इसके जड़ में उत्पीडऩ है जिसका गहन अध्यन करके बाबा साहब ने कुछ ज़रूरी बातें रखी और निष्कर्ष निकाला कि ब्राह्मणवाद में वर्ण वयवस्था के होते हुए बहुजन समाज का भला नहीं हो सकताक्यूंकि, हज़ारों सालों से इन्हें दूर रखा गया था, हज़ारो सालों से वो जो उत्पादन किया करते थे उन्हें नहीं दियस जाता था जो सारा का सारा. ऊपरी ज़ात के लोग ले लेते थे जिनका उत्पादन में कोई परिश्रम नहीं होता. था, जिसके कारण बहुजन समाज यानी 85प्रतिशत दलित आर्थिक रूप से भी पीडि़त था, इस असमानता को देखते हुए बाबा साहब ने निष्कर्ष निकाला कि ब्राह्मणवाद, मनुवाद से बहुजन समाज का भला संभव नहीं है परिणाम स्वरूप 3 लाख के मजमा में सार्वजनिक रूप से बौद्ध धर्म स्वीकार किया जिसमें में बाबा साहब ने 22 प्रतिज्ञा लीं जो प्रिंटेड है अध्यन किया जा सकता है कि वो 22 प्रतिज्ञा क्या थीं. बाबा साहब ने बौद्ध धर्म में समानता की बात बताई. आज आप जो देख रहे हैँ कि देश में 15 प्रतिशत आबादी व्यापार पर क़ाबिज़ हैं
और सारा लाभ उन्हीं के तिजोरी में. इकठा हो रहा है जबकि 85 प्रतिशत बहुजन का एक भी बड़ा उद्योग हाथ में नहीं हैँ इसलिए बहजन समाज को भी उद्योग लगाने बड़ा व्यापार करने में सरकार आरक्षण दे देश से आर्थिक, सामाजिक, एवं रानीतिक असमानता को मिटाने बाबा साहब ने संविधान लिखा जो मात्र दस्तावेज़ नहीं एक आंदोलन है जिसका मशाल जलाना होगा इसी प्रकार मुमताज़ भारती के पश्चात् हर्ष सिंह ठाकुर द्वारा अपना विचार व्यक्त करते हुए बताया कि जो समाज मेहनत काश. है जूता सिलता है, पंचर बनता है, बढ़ाई का काम करता है, सफाई करता है मैला उठाता है आदि उसकी समाज में कोई इज़्ज़त नहीं जो कुछ नहीं करता आराम करता है उसे प्रतिष्ठित माना जाता है जो मेहनत करने वाला समाज उस से नीचता का व्यवहार किया जाता है जो कि मनुवाद की ही उपज है इस लिए बहुजन समाज को संगठित होना होगा और बाबा साहब द्वारा रचित भारत के संविधान अनुरूप अपने अधिकार की लड़ाई लडऩी होंगी उदबोधन की कड़ी में माधबन पारा निवासी जावेद अली ने संविधान में दिए गए अधिकारों को लागु करवाने बहुजनों को एक होना पड़ेगा का आह्वान किया गया विचार संगोष्ठी मंच का संचालन एवं आभार प्रदर्शन शाहबाज़ रिज़वी बसपा जि़ला ध्यक्ष बसपा रायगढ़ द्वारा किया गया इसके पश्चात बहुजन आंदोलन को गति देने के उद्देश्य से जागृति कला जत्था का कार्यक्रम प्रारम्भ होकर देर रात दो बजे को समाप्त हुआ. जिसकी प्रशंसा सर्वत्र छाइ रही जिसे बहुजन समाज को जागरूक करने का एक महत्वपूर्ण अस्त्र माना जाता है क्युकी कलाकार संगीत के माध्यम से आम जन. तक बाबा साहब और उनके अनु यायी मान्यवर कांशी राम जी के मिशन को पहुंचाने में सफल होते हैँ।
डॉ. भीमराव अम्बेडकर जयंती पर बसपा ने निकाली बाईक रैली
