रायपुर। भारतमाला प्रोजेक्ट में जमीन अधिग्रहण और मुआवजे में घोटाले की जांच ईओडब्ल्यू करेगी। छत्तीसगढ़ के 11 जिलों में भू-अर्जन की प्रक्रिया में अनियमितताएं पाए जाने के बाद जांच का दायरा बढ़ाया गया है।
राजस्व आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव अविनाश चंपावत ने सभी संभाग कमिश्नर को लेटर लिखा है। 15 दिन में इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। जिन जिलों से भारत माला प्रोजेक्ट होकर गुजर रहा है, उन सभी जिलों में मुआवजा और अधिग्रहण की जांच होगी।
भारतमाला परियोजना एक राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना हैं जो भारत सरकार की है। इसके तहत नए राजमार्ग के अलावा उन परियोजनाओं को भी पूरा किया जाएगा जो अब तक अधूरे हैं। इसी के तहत रायपुर से विशाखापट्टनम तक करीब 463 किमी लंबी नई फोरलेन सडक़ बनाई जा रही है।
रायपुर से विशाखापट्टनम 463 किमी सडक़ बन रही है इसमें छत्तीसगढ़ में 124 किमी सडक़ 3 कंपनियां बना रही हैं। यह सडक़ नवा रायपुर से भी होकर गुजरेगी। इसलिए यहां सडक़ के लिए किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। जमीन अधिग्रहण के बाद मुआवजे का घोटाला सामने आया है। छत्तीसगढ़ के अवर सचिव को 8 अगस्त 2022 को धमतरी निवासी शिकायतकर्ता कृष्ण कुमार साहू और हेमंत देवांगन ने शिकायत की थी। बताया गया कि, अधिग्रहित की गई जमीन का मुआवजा बांटने के नाम पर अधिकारियों ने पैसों का बंदरबांट किया। उनकी जमीन का खसरा बदल दिया गया। पूर्व खसरे पर उस राशि का भुगतान दिख रहा है। एसडीएम, नायब तहसीलदार और पटवारी से इसकी शिकायत की है, लेकिन वो समाधान नहीं कर रहे हैं। इन अफसरों ने दस्तावेजों में हेर-फेर कर भू-माफियाओं की मदद से शासन के पैसों का दुरुपयोग किया है। अधिग्रहण नियमों के अनुसार, गांवों में 500 वर्गमीटर से कम जमीन है तो उसका मुआवजा ज्यादा मिलता है। जमीन 500 वर्गमीटर से ज्यादा है तो पैसा कम मिलता है। उदाहरण के तौर पर एक एकड़ जमीन का मुआवजा 20 लाख होगा। इसे टुकडों में बांटकर 500 वर्गमीटर से कम कर दिया जाए तो मुआवजा 1 करोड़ हो जाएगा।
ईओडब्ल्यू ने मांगी पिछली जांच रिपोर्ट
रायपुर जिले में जांच के बाद प्रदेश के 11 जिलों में गड़बड़ी सामने आई है। अधिकारियों की तरफ से फर्जी नामांतरण, बंटवारा और अधिक मुआवजा बांटने की शिकायत है। इस गड़बड़ी को गंभीरता से लेकर राजस्व विभाग ने जांच का दायरा बढ़ाया। भारत माला प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपने का फैसला कैबिनेट में लिया गया था। अब इस पूरे मामले में ईओडब्ल्यू के अधिकारी जांच में जुट गए हैं। वहीं, राजस्व विभाग से पूर्व में की गई जांच की रिपोर्ट मांगी है। इस मामले में ईओडब्ल्यू घोटाले में शामिल अधिकारियों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रही है।
सीबीआई से भी की गई शिकायत
स्वामी बिल्ड प्राइवेट लिमिटेड के संचालक नरेंद्र पारख ने बताया कि, अभनपुर के उरला गांव नहर के पास उनकी 88 डिसमिल जमीन है। इसमें 39 डिसमिल जमीन का अधिग्रहण एनएचएआई ने किया है। भुगतान पत्रक में 1.36 करोड़ का मुआवजा बना। लेकिन इनकी जमीन का मुआवजा किसी हृदय लाल गिलहरे के नाम पर कर दिया गया। उसने बैंक से पूरा पैसा निकालकर खाता बंद कर दिया है। उन्होंने इसकी शिकायत सीबीआई में की गई है। अमित पाण्डेय ने बताया कि, उनके पास 1.80 लाख स्क्वायर फीट जमीन थी। उन्हें 29 करोड़ मुआवजा मिलना था, लेकिन 17 करोड़ ही मिले। बाकी 12 करोड़ कहां गए उन्हें पता नहीं।
पूर्व गृहमंत्री ने लिखी थी पीएम को चिट्ठी
मुआवजा घोटाले में रिव नाम के व्यक्ति की मुख्य भूमिका बताई जा रही है। इसकी शिकायत बीजेपी नेता ननकीराम कंवर ने पत्र लिखकर 28 नवंबर 2024 को पीएम मोदी से की थी। चिट्ठी में मुआवजा घोटाले में शामिल अफसरों का नाम लिखा था और प्रोजेक्ट की जानकारी भू-माफियाओं को लीक करने की बात भी लिखी थी। इसमें जिन अफसरों का नाम लिखा हुआ था, उनमें से कई अफसर अभी भी जांच के दायरे के बाहर है।
11 जिलों में होगी जांच
रायगढ़, रायपुर, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, जशपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, बिलासपुर व जांजगीर-चांपा जिला का जांच होना है।
भारतमाला प्रोजेक्ट में हुआ भारी भ्रष्टाचार
रायगढ़ सहित 11 जिलों की जांच करेगी ईओडब्ल्यू, किसानों की जमीन अधिग्रहण और मुआवजे में धांधली का मामला
