रायगढ़। सडक़ दुर्घटनाओं और साईबर फ्ऱॉड के प्रति समाज में जागरुकता लाने रंगकर्मी और पत्रकार युवराज सिंह ‘आज़ाद’ दो नये नाटक की तैयारी कर रहे हैं। इससे पहले हर साल सडक़ यातायात सुरक्षा माह के दौरान अपने रंगकर्मी साथियों की टीम को नुक्कड़ पर उतारकर समाज में जागरुकता लाने के लिए युवराज सिंह ‘आज़ाद’ द्वारा किया जाता रहा है। आने वाले दिनों में सडक़ हादसों की वजह से मृतकों या बुरी तरह घायलों से संबंधित परिवार में जो विषम हालात पैदा होते हैं, उन्हीं हालातों से उपजे दर्द को नाट्य मंचन के ज़रिए लाने की कोशिश की जायेगी। नाटक का स्वरूप एकल रखने के बारे में विचार किया जा रहा है, जिससे कि नाटक के माध्यम से समाज में दिया जाने वाला संदेश स्पष्ट तौर पर उभरकर आ सके। पूरी तरह इंप्रोवाईज़ेशन पद्धति इस नाटक को तैयार करने में रंगकर्मी श्याम देवकर, भरत निषाद और टिंकू देवांगन की भूमिका विशेष रहने वाली है, इसके अलावा नाटक तैयार करने की प्रक्रिया के दौरान राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के स्नातक और रंग श्रृंखला नाट्य मंच (एकेडमी) के निर्देशक हीरामन से भी निर्देशकीय सुझाव लिये जायेंगे। इस नाटक के माध्यम से आंकड़ों के जरिए यह भी बताने की कोशिश होगी कि यातायात नियमों के प्रति लापरवाही बरतने के कारण होने वाले सडक़ हादसों में कितनी दर्दनाक मौतें हो चुकी हैं और यातायात नियमों का ईमानदारी से पालन करने हर व्यक्ति अपने नागरिक कर्तव्यों का पालन कर सकता है, जो कि उसे हर हाल में करना चाहिए। ग़ौरतलब है कि युवराज सिंह ‘आज़ाद’ पेशे से पत्रकार हैं और वर्तमान में वेब पोर्टल और यूट्यूब चैनल का संचालन टिंकू देवांगन के साथ मिलकर कर रहे हैं, इसके अलावा विगत तीस वर्षों से रायगढ़ इप्टा से जुडक़र बतौर अभिनेता सक्रिय हैं, अब तक तकऱीबन 40 नाटकों में उन्होंने काम किया है, जिनके शोज़ देश के अलग अलग हिस्सों में किये जा चुके हैं।अजय आठले द्वारा निर्देशित और प्रख्यात नाटककार अख़्तर अली द्वारा लिखित एकल नाटक ‘असमंजस बाबू की आत्मकथा’ में युवराज के अभिनय को दर्शकों ने ख़ूब सराहा है। देश के शीर्षस्थ रंग निर्देशकों अजय आठले, संजय उपाध्याय, देवेन्द्र राज अंकुर, रंजीत कपूर, सुमन कुमार, योगेन्द्र चौबे, स्वप्निल किरण कोत्रीवार, हुतेंद्र ईश्वर शर्मा के सान्निध्य में भी युवराज ने अभिनय सीखा है। बक़ौल युवराज सीखने का क्रम अंतिम सांस तक जारी रहने वाला है। सडक़ हादसों के रोकथाम में समाज की प्रभावी भूमिका लगातार जन जागरूकता के सांस्कृतिक आयोजनों से सामने आ सकती है, समाज में व्याप्त बुराईयों के प्रति सोचने समझने और समूल खात्मे के लिए जारी तमाम सरकारी ग़ैर सरकारी अभियानों में नाटकों की भूमिका बेहद कारगर मानी जाती है, इसीलिए युवराज सिंह ‘आज़ाद’ ने अपने रंगकर्मी साथियों के सहयोग से नाट्य मंचन का विचार किया है।