रायपुर। राष्ट्रीय वन शहीद दिवस हर साल 11 सितंबर को मनाया जाता है। रायपुर में बुधवार को आयोजित विशेष कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, मंत्री, विधायक और अधिकारी ऊर्जा पार्क पहुंचे। वन विभाग के शहीद कर्मचारियों को याद किया। सीएम ने वन शहीदों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने वन शहीदों की याद में वन शहीद स्मारक का अनावरण किया। वन दिवस का इतिहास 363 लोगों की मौत से जुड़ा है। साल 1730 में राजस्थान में एक ही दिन में एक साथ सबको मार दिया गया था। ये सभी पेड़ों की रक्षा करना चाहते थे। इसके बाद जंगलों को बचाने के लिए चले अभियान, ग्रामीणों और वन विभाग के शहीद कर्मचारियों के सम्मान में 2013 से हर साल 11 सितंबर को वन शहीद दिवस मनाया जाता है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि, आज भावनाओं से भरा दिन है। हम उन वीर शहीदों का स्मरण कर रहे हैं। जिन्होंने जंगलों, प्राकृतिक संसाधनों और वन्य जीवों की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। वन शहीदों की शहादत हमें पर्यावरण संरक्षण की महत्ता और इसे संरक्षित करने हमारी जिम्मेदारियों की याद दिलाता है। सीएम, वन मंत्री केदार कश्यप और राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा ने अपने पिता की स्मृति में पौधा रोपा। इस दौरान विधायक पुरंदर मिश्रा, वन बल प्रमुख व्ही श्रीनिवास राव, अखिल भारतीय वन अधिकारी महासंघ के अध्यक्ष सतीश मिश्रा और चेयरमैन दिग्विजय सिंह मौजूद थे। 11 सितंबर 1730 में जोधपुर के खेझरली या खेजड़ली गांव में अमृता देवी, उनकी तीन बेटियों समेत 363 लोगों ने खेजड़ी के पेड़ के साथ कटकर अपनी जान गंवा दी थी। राजस्थान के जोधपुर में उन दिनों मारवाड़ राजा अभय सिंह का शासन था। वह एक नया महल बनाने की योजना बना रहे थे। महल के लिए लकडिय़ां चाहिए थीं। उन्होंने खेजड़ी काट कर लाने के लिए भेजा। तब खेजड़ली गांव ढेरों खेजड़ी के पेड़ थे। गांव के लोग बिश्नोई समाज के लोग इन पेड़ों को पूजते थे। उन्होंने पेड़ कटने से रोका, तो राजा के आदेश पर सभी लोग मरवा दिए गए थे।