रायगढ़। नवगठित सांगढ़ जिले के ग्राम लालाधुरवा में अवैध खदान में फ्लाईएश फिलिंग की मिली अनुमति के मामले में खनिज विभाग ने पूरा आंख बंद कर लिया है। खनिज विभाग के उच्च अधिकारियों के संज्ञान में भी मामला सामने आने के बाद इसमें कार्रवाई कराने के बजाए फिलिंग होने का इंतजार कर रहे हैं।
सारंगढ़ तहसील के ग्राम पंचायत धौराभांठा के आश्रीत ग्राम लालाधुरवा में नितिन सिंघल के नाम से खसरा नंबर 138/2,165/1,174,184,186/1, में करीब डेढ़ एकड़ भूमि है जिसमें पूर्व में किसी प्रकार के उत्खनन के लिए खनिज विभाग ने अनुमति नहीं दी है। उक्त भूमि नवंबर 2017 में नितिन सिंघल के नाम पर नामांतरण हुआ और 2021 में फ्लाईएश डंप के लिए एसकेएस ने अनुमति मांगा। भू- स्वामी के सहमति पर मांगे गए अनुमति को लेकर खनिज नरीक्षक उमेश भार्गव, पर्यावरण व राजस्व विभाग के पटवारी के रिपोर्ट पर तहसीलदार व एसडीएम ने 15 मीटर गड्ढा होना बताया है। लेकिन अब खनिज विभाग के राजधानी में बैठे उच्च अधिकारी ज्वाईंट डॉयरेक्टर दीवान मौके पर कोई गड्ढा न होना बता रहे हैं साथ ही अनुमति के दो साल बाद भी फ्लाईएश की एक भी गाड़ी मौके पर न पहुंचने की बात कर रहे हैं लेकिन चार पूर्व क्रय किए गए कृषि भूमि में इतने बड़े पैमाने पर गड्ढा कैसे हुआ इसको लेकर जांच करने से कतरा रहे हैं।
आखिर कौन सही कौन गलत
अगर खनिज विभाग के ज्वार्इंट डॉयरेक्टर की बात माना जाए तो पटवारी से लेकर एसडीएम व पर्यावरण व खनिज निरीक्षक की रिपोर्ट फर्जी साबित हो रही है। अगर रिपोर्ट को सही माने तो ज्वाईंट डॉयरेक्टर बात कोरी साबित हो रही है।
किसका मिल रहा संरक्षण
आश्चर्य की बात तो यह है कि खनिज विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों के संज्ञान में इस मामले को आए साल भर बीत गए लेकिन अब तक कोई जांच नहीं की गई, अब राजधानी स्तर के अधिकारी भी इस मामले में जांच कराने से कतराते हुए दिख रहे हैं। इसको लेकर यह सवाल उठ रहा है कि आखिर इस मामले में किसका संरक्षण मिल रहा है।
नहीं मिला कोई जवाब
खनिज विभाग के प्रभारी सचिव दिव्या मिश्रा से कुछ दिन पूर्व हुई बातचीत के दौरान इस मामले की जांच कराने की बात कही गई थी, लेकिन इसके बाद दोबारा संपर्क कर कार्रवाई जानने का प्रयास किया गया, लेकिन प्रभारी सचिव ने कोई
अवैध खदान पर कार्रवाई की बजाए विभाग कर रहा फिलिंग का इंतजार
उच्च अधिकारियों के संज्ञान में आने के बाद भी जांच तक नहीं
