रायगढ़। छत्तीसगढ़ कांग्रेस मे स्वयं बड़ा लक्ष्य लेकर चलना और व्यक्तिगत सीमाओं से परे उठ कर संगठन के लिए पुरी तरह समर्पित होकर व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप को सहकर सिर्फ पार्टी हित के लिए काम करने वालों की अगर लिस्ट बनाई जाए तो ऊँगली मे गिनती कर सकते हैँ, क्योंकि सब अरुण मालाकार नही बन सकते। धरातल पर काम को अंजाम देने के साथ छोटे से बड़े कार्यकर्ताओं कों प्यार से जिम्मेदारी देकर असंभव कार्य को सहजता से अंजाम देने मे जो महारत अरुण मालाकार को हासिल है वर्तमान राजनैतिक परिदृश्य मे उस कद का नेता ना तो खुद की पार्टी मे कोई दिखता है और ना ही विपक्षियों के पास अरुण सा कोई तुरूप का इक्का है! विगत 02 विधानसभा परिणाम ने अरुण को छत्तीसगढ़ के टॉप लीडर मे शामिल कर दिया है। 2023 के विधान सभा परिणाम ने साबित कर दिया कि अगर संगठन के लीडर में दम हो तो सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले के तरह ही विरोधियों को क्लीन स्वीप किया जा सकता है, साथ ही रायगढ़ जिले में अतिरिक्त दाईत्व का निर्वहन करते रायगढ़ विधानसभा सीट को छोडक़र सभी सीटों में कांग्रेस का परचम लहराया जा सकता है। कांग्रेस के इस जादुई जीत में अरुण मालाकार का क्या योगदान है उनके धुर विरोधी और आलोचक भी जानते हैँ।
छात्र जीवन से संघर्षशील और नेतृत्व क्षमता के धनी थे मालाकार –
अरुण मालाकार को उच्चशिक्षा के लिए आईटीआई हेतु उज्जैन भेजा गया जहाँ से उन्होने छात्र नेता के रूप मे राजनितिक जीवन की शुरुवात आईटीआई अध्यक्ष के रूप मे की। सारंगढ़ के छोटे शहर से उज्जैन के बड़े शहरों के छात्रों के मध्य अध्यक्ष बनना और पद का सफल निर्वहन करना अरुण को अरुण मालाकार बनाने की पहली सीढी थी। समाज सेवा मे विशेष रुचि रखने के कारण उन्होंने कॉलेज मे भी समाजशास्त्र लेकर पढना उचित समझा जिससे वो समाज की बारीकियों से और भली-भांति अवगत हो सकें। 1993-94 मे सारंगढ़ कॉलेज मे भी अरुण मालाकार अध्यक्ष रहकर युवाओं को अपने साथ जोड़ा और छात्र हित मे अनेको कार्य किये। 1996 से 1998 तक जन संघर्ष समिति के पुन: अध्यक्ष बने। सन 2000 मे ग्राम सहसपुर मे सरपंच पड़ पर खड़े होकर विजेता बने,तथा उसी वर्ष अपने नेतृत्व क्षमता के कारण सरपंच संघ अध्यक्ष भी मनोनीत हुवे। सरपंच संघ अध्यक्ष के बाद उनकी पहचान सारंगढ़ अंचल के एक उम्दा राजनेता के तौर पर हो चुकी थी, लेकिन अरुण इतने मे खुश होने वाले नही थे उन्होंने सन 2005 मे दानसरा क्षेत्र से बीडीसी चुनाव लड़ा जिसमे भी उन्होंने जीत हाशिल की,सन 2010 मे जनपद उपाध्यक्ष मनोनीत हुवे, 2015 मे पुन: जनपद उपाध्यक्ष, 2020 मे सभापति एवं जिला कांग्रेस अध्यक्ष पद पर सुशोभित हुवे और आज सारंगढ़ बिलाईगढ़ जिले में कांग्रेस के पहले जिलाध्यक्ष बने और उनके आलोचको के मुंह में तमाचा जड़ते हुए कांग्रेस आलाकमान ने रायगढ़ का भी प्रभार दे दिया गया और आज वे सारंगढ़ कांग्रेस के गेम मेकर और चाणक्य तथा राजनीति के असली कलाकार कहे जाते हैँ।
स्व. नंद कुमार पटे
शहीद नंदकुमार पटेल के आदर्शों पर चलकर राजनैतिक आसमान में प्रकाश बिखेरते अरुण
इतना आसान नही है किसी नेता का अरुण मालाकार बन जाना
