रायगढ़। 29 मई के इस दिन ने राजनीति में संघर्ष के जरिए मुकाम हासिल करने वाले एवम सतत् सक्रिय रहने वाले पूर्व सिंचाई मंत्री, व रायगढ़ विधानसभा के पूर्व विधायक डॉ. शक्राजीत को सदा के लिए एक अविस्मरणीय प्रतीक चिन्ह बना दिया। राजनीति में सुचिता का मापदंड स्थापित करने वाले डॉक्टर नायक राजनीति में गरीबी दिन दुखियो के मसीहा के रूप में स्थापित थे। अपना पूरा जीवन राजनीति के जरिए सेवा में खपाने वाले डॉक्टर नायक सही मायने में जनता के नायक भी थे। भाजपा के जरिए अपनी राजनैतिक जीवन की शुरुवात करने वाले डॉक्टर नायक ने छत्तीसगढ़ गठन के बाद सरिया विधायक रहते हुए जोगी सरकार में कांग्रेस प्रवेश किया। दल बदलने के बाद भी क्षेत्र की जनता उन्हें दिल से नही निकाल सकी वे कांग्रेस से भी चुनाव जीत गए। एक ऐसा विरला व्यक्तित्व जो धर्म राजनीति क्षेत्र से परे ना केवल सरिया विधान में भाजपा एवम कांग्रेस दोनो दलों से विधायक रहा बल्कि अपना मूल निवास स्थान छोडऩे के बाद रायगढ़ विधान सभा में भी चुनाव जीतने में सफल रहा। डॉ. शक्राजीत नायक के बड़े ज्येष्ठ पुत्र प्रकाश नायक रायगढ़ विधायक बनने के पहले जिला पंचायत में सबसे अधिक वोट से जितने वाले नेता रहे। वही छोटे पुत्र कैलाश नायक ने अपना पहला जिला पंचायत सदस्य चुनाव जीता। डॉ. शक्राजीत नायक जैसे विरले व्यक्तित्व की जीवन यात्रा व्यक्तित्व कार्य आज भी प्रेरणा दाई है। डॉक्टरेट की उपाधि छोड़ कर राजनीति में आने वाले डॉक्टर नायक को भाजपा की रमन सरकार ने विधान सभा में सर्वश्रेष्ठ विधायक के रूप में नवाजा था। प्रारम्भिक एवं उच्च शिक्षा बरमकेला विकासखण्ड के समीपस्थ ग्राम नावापाली में हुई।25 मई1946 को स्व. लालमेन गौटिया के घर ज्येष्ट पुत्र के रूप में जन्में डॉ. शक्राजीत नायक की प्रारंभिक शिक्षा ग्राम धुमाभांठा (अपने गृह ग्राम से दो किलोमीटर दूर स्थित) के प्राथमिक विद्यालयों में एवं हायर सेकण्डी की परीक्षा सारंगढ़ के विद्यायल में संपन्न हुई। अपनी उच्च शिक्षा स्नातक एवं स्नातकोत्तर की पढ़ाई शास. विज्ञान महाविद्यालय रायपुर से प्राणी शास्त्र में एमएससी रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के मेरिट में प्रथम स्थान के साथ पूर्ण हुई। आपने नागपुर विश्व विद्यालय से 1970 में कीट शास्त्र (कृषि विज्ञान) में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की जो छत्तीसगढ़ के लिए प्रथम कृषि विज्ञान पीएचडी का गौरव था। 1960 से नागपुर विवि में एवं 1978 गुरूनानक महाविद्यालय बल्लारपुर महाराष्ट्र में प्राचार्य के पद पर सेवाये दी। छोटे भाई के असामयिक मृत्यु एवं घर में कृषि कार्य का उत्तरदायित्व निभाने के साथ-साथ राजनैतिक जागरूकता के लिए सरिया विधानसभा के एक कुशल नेतृत्व देने की मनोवृत्ति को जमीनी स्तर पर उतारने के उद्देश्य से प्राध्यापक की सेवा को त्याग कर 1980 में आपने जनता पार्टी में प्रवेश किया तथा रायगढ़ जिला के जनता पार्टी संगठन में महामंत्री बने। वर्ष 1986 में जिला भाजपा अध्यक्ष के रूप में आपको जिम्मेदारी मिली एवं वर्ष 1990 में प्रथम बार विधानसभा के सदस्य बने 1993 के चुनाव में अत्यंत अल्प मतों के अंतर से पराजित हुए तदानंतर 1998 एवं 2003 में दूसरी एवं तीसरी बार 2008 मे चौथी बार विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए। नया राज्य बनने पर वर्ष 2001 में आपको छत्तीसगढ़ के जोगी मंत्रिमण्डल में राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जल संसाधन एवं आयाकट विभाग का मंत्री बनाया गया। वर्ष 2004 में आपको विधानसभा में लोक लेखा समिति प्रत्यायुक्त विधानसभा समिति इत्यादि का सदस्य भी बनाया गया। वहीं डॉ. शक्राजीत नायक को छत्तीसगढ़ में उत्कृष्ठ विधायक के रूप में भी सम्मानित किया गया।
आपकी राज्य स्तरीय कद को ऊपर उठाते हुए राजीव गांधी पंचायती राज संगठन का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भी संगठन द्वारा बनाया गया था यह आपके व्यक्तित्व की कुशल संगठन क्षमता का परिचायक रहा। बतौर सिंचाई मंत्री के रूप में डॉक्टर नायक के अहम कार्यों मील के पत्थर साबित हो रहे है।छत्तीसगढ़ प्रदेश के 25-30 वर्ष पुराने बड़ी सिंचाई परियोजना केलो डेम रायगढ़, मोंगरा परियोजना राजनांदगांव, सुतियापाठ कवर्धा, कोसारटेड़ा बस्तर, महानदी केनाल लाईनिंग, तांदुला केनाल लाईनिंग दुर्ग, समोद राजीवगांधी व्ययवर्तन तथा टर्न की खरसिया ब्रांच केनाल बांगी का कार्य प्रारंभ किया। साथ में लगभग 250 लघु जलाशयों का कार्य प्रारंभ करवाया जिससे छत्तीसगढ़ के सिंचाई प्रतिशत में वृद्धि और उनके नेतृत्व में सरकार की कि सान हितैषी कृषि प्रधान छवि बनी। रायगढ़ विधान सभा एक वृहद क्षेत्र होने के कारण आम जनता को अपने निवास रायगढ़ आने में कठिनाईयों का सामना करना पडता था अत: उनकी कठिनाईयों को देखते हुए प्रत्येक बुधवार को पुसौर में एवं प्रत्येक शुक्रवार को सरिया में जनता के बीच जाकर वहीं उनकी समस्याओं को सुनकर निराकरण करते थे एवं मोबाईल में भी वे हमेशा उपलब्ध रहते थे।डॉ. शक्राजीत नायक अपने जीवन काल में क्षेत्र के जन-जन से जुड़े होने यहां की माटी, यहां की संस्कृति, यहां के धार्मिक स्थलों को सम्मानित और प्रतिष्ठित करने में सदैव जुटे रहे। डॉ. शक्राजीत नायक जैसी सक्रियता शायद ही विधायकों में रही हो, आम जनता के सवालों को लगातार विधानसभा में विभिन्न माध्यमों के साथ उठाने के अलावा मंत्रालय एवं जिले के अधिकारियों के साथ स्वयं बैठकर ज्ञापन मांग पत्र देकर समस्याओं का समाधान करते थे, उम्र उनकी सक्रियता पर हावी नहीं हो पाई। प्रतिदिन प्रात: उठकर आम जनता से सहजता से भेंट करते थे।कॉलेज में प्राचार्य एवं प्राध्यायकीय सेवा को छोडक़र डॉ. शक्राजीत नायक ने तात्कालीन मध्यप्रदेश के सरिया विधानसभा को चुना तो उनके सामने चुनौतियों का अम्बर था, इस क्षेत्र के लोगों में उस समय के केबिनेट मंत्री कमला देवी सिंह और राजा नरेश चंद्र सिंह सारंगढ़ राजपरिवार के प्रति अटूट श्रद्धा रही। राजनैतिक भय से जनता डॉ. शक्राजीत नायक और विपक्षी राजनीतिक संगठन से लोग दूरी बनाते ही रहे इस परिस्थिति में भी ने उन्होंने ना तो धैर्य खोया और ना ही अपना हौसला छोड़ा। राजमहल और तत्कालीन सत्ताधीशों द्वारा किसी न किसी रूप में डॉ. शक्राजीत नायक को हतोत्साहित करने मेंं अपने रसूख का हरसंभव दुरुपयोग भी किया। लेकिन डॉ. शक्राजीत नायक की जीवटता, संघर्ष की भावना और दृढ़ इच्छाशक्ति के सामने ज्यादा दिनों तक महलों की राजशाही सत्ता नहीं टिक पायी। सरपंच और जनपद स्तर के चुनाव में जिन्हें हराने के लिए सत्ता की ताकत जूट जाती थी वहीं डॉ. शक्राजीत नायक 1990 फिर 1998, 2003 एवं 2008 में विधानसभा से निर्वाचित होकर अपनी संघर्षशील और जुझारू तेवर में खुद को प्रतिष्ठित किया।
जीवन के अंतिम समय में
डॉ. शक्राजीत नायक शारीरिक रूप से अस्वस्थ्य होने के बावजूद व्हीलचेयर में ही जन संपर्क करते रहे।दृढ़इच्छा शक्ति के धनी और जीवट व्यक्तित्व के पीस्वामी डॉ. शक्राजीत नायक ने इस विषम दौर में भी अपने लोगों के सुख-दुख कार्यक्रमों व जनता से भेंट मुलाकात करते रहे।चाहे भाजपा हो या फिर कांग्रेस दोनो की दलों में उनकी छवि कद्दावर नेता के रूप में स्थापित रही।
कोई दूजा नायक नही हो सकता
यह सच है जनता के लिए हर पल जीने वाला सच्चा नायक होता है। नायक बनने के लिए डॉक्टर शक्रजीत नायक का होना जरूरी है और शायद अब यह असभंव ही है। मरने के बाद भी दिलो में बसने वाला ही सच्चा नायक हो सकता है।
राजनीति में गरीबो दिन दुखियो के मसीहा रहे डॉ.शक्राजीत नायक
प्रतिभाशाली व्यक्तित्व के धनी डॉक्टर नायक का जीवन नेताओं के लिए पाठशाला की तरह है
