NavinKadamNavinKadamNavinKadam
  • HOME
  • छत्तीसगढ़
    • रायगढ़
      • खरसिया
      • पुसौर
      • धरमजयगढ़
    • सारंगढ़
      • बरमकेला
      • बिलाईगढ़
      • भटगांव
    • शक्ति
    • जांजगीर चांपा
    • बिलासपुर
  • क्राइम
  • आम मुद्दे
  • टेक्नोलॉजी
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • Uncategorized
Reading: वर्तमान समय में उत्पादकता बढ़ाने में हरी खाद का प्रयोग करें : डॉ केडी महंत
Share
Font ResizerAa
NavinKadamNavinKadam
Font ResizerAa
  • HOME
  • छत्तीसगढ़
  • क्राइम
  • आम मुद्दे
  • टेक्नोलॉजी
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • Uncategorized
  • HOME
  • छत्तीसगढ़
    • रायगढ़
    • सारंगढ़
    • शक्ति
    • जांजगीर चांपा
    • बिलासपुर
  • क्राइम
  • आम मुद्दे
  • टेक्नोलॉजी
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • Uncategorized
Follow US
  • Advertise
© 2022 Navin Kadam News Network. . All Rights Reserved.
NavinKadam > रायगढ़ > वर्तमान समय में उत्पादकता बढ़ाने में हरी खाद का प्रयोग करें : डॉ केडी महंत
रायगढ़

वर्तमान समय में उत्पादकता बढ़ाने में हरी खाद का प्रयोग करें : डॉ केडी महंत

lochan Gupta
Last updated: May 27, 2024 10:03 pm
By lochan Gupta May 27, 2024
Share
5 Min Read

रायगढ़। भारत सरकार कृषि मंत्रालय के केन्द्रीय बारानी कृषि अनुसन्धान संस्थान,हैदराबाद भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् अंतर्गत जलवायु समुत्थानशील कृषि पर राष्ट्रीय पहल. (निकरा ) परियोजना, कृषि विज्ञान केंद्र, रायगढ़ में संचालित है द्य इस परियोजना में केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ बी एस राजपूत मुख्य अन्वेषक , केंद्र मृदा वैज्ञानिक डॉ के डी महंत सहायक अन्वेषक एवं डॉ एम के साहू वरिष्ठ अनुसंधान सहायक परियोजना के अंतर्गत जलवायु लचीला प्रौद्योगिकी के माध्यम से किसान भाइयों के लिए जरुरी सलाह प्रसारित करते रहते है द्य इस क्रम में मृदा वैज्ञानिक डॉ के डी महंत ने समसामयिक विषय में हरीखाद की महत्ता एवं आवश्यकता पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए बताया कि सीमित संसाधनों के समुचित उपयोग हेतु कृषक एक फसली, द्विफसली कार्यक्रम व विभिन्न फसल चक्र अपना रहे जिससे मृदा का लगातार दोहन हो रहा है जिससे उपस्थित पौधों के वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्व नष्ट होते जा रहे हैं। इस क्षतिपूर्ति हेतु विभिन्न तरह के उर्वरकों व खादों का उपयोग किया जाता है। उर्वरकों द्वारा मृदा में सिर्फ आवश्यक पोषक तत्व जैसे नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, जिक इत्यादि की पूर्ति होती है परन्तु मृदा की संरचना, उसकी जल धारण क्षमता एवं उसमें उपस्थित सूक्ष्मजीवों की रासायनिक क्रियाशीलता बढ़ाने में इनका कोई योगदान नहीं होता। अत: वर्तमान समय में खेती में रासायनिक उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग एवं सीमित उपलब्धता को देखते हुए अन्य पर्याय भी उपयोग में लाना आवश्यक हो गया है। तभी हम खेती की लागत को कमर फसलों की प्रति एकड़ उपज को बढ़ा सकते हैं, साथ ही मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी अगली पीढ़ी के लिए बरकऱार रख सकेंगे। मृदा उर्वरकता एवं उत्पादकता बढ़ाने में हरी खाद का प्रयोग प्राचीन कल से चला आ रहा है बिना सड़े-गले हरे पौधे (दलहनी अथवा अदलहनी अथवा उनके भाग) को जब मृदा की नत्रजन या जीवांश की मात्रा बढ़ाने के लिए खेत में दबाया जाता है तो इस क्रिया को हरीखाद देना कहते हैं। सघन कृषि पद्धति के विकास तथा नगदी फसलों के अंतर्गत क्षेत्रफल बढऩे के कारण हरी खाद के प्रयोग में निश्चित ही कमी आई लेकिन बढ़ते ऊर्जा संकट, उर्वरकों के मूल्यों में वृद्धि तथा गोबर की खाद एवं अन्य कम्पोस्ट जैसे- कार्बिनक स्रोतों की सीमित आपूर्ति से आज हरी खाद का महत्व और बढ़ गया है। रासायनिक उर्वरकों के पर्याय के रूप में हम जैविक खादों जैसे- गोबर की खाद, कम्पोस्ट हरी खाद आदि को उपयोग कर सकते हैं। इनमें हरी खाद सबसे सरल व अच्छा प्रयोग है। इसमें पशु धन में आई कमी के कारण गोबर की उपलब्धता पर भी हमें निर्भर रहने की आवश्यकता नहीं है। अत: हमे हरी खाद के यथासंभव उपयोग पर गंभीरता से विचार कर क्रियान्वयन करना चाहिए डॉ महंत ने बताया कि हरीखाद के प्रयोग से केवल नत्रजन व कार्बनिक पदार्थों का ही साधन नहीं है बल्कि इससे मिट्टी में कई पोषक तत्व भी उपलब्ध होते हैं। एक अध्ययन के अनुसार एक टन ढैंचा के शुष्क पदार्थ द्वारा मृदा में जुटाए जाने वाले पोषक तत्व इस प्रकार है – नत्रजन 26.2 द्मद्द /द्धड्ड, फॉस्फोरस, 7.3 द्मद्द /द्धड्ड, पोटाश 17.8 द्मद्द /द्धड्ड, गंधक 1.9 द्मद्द /द्धड्ड. मैग्नीशियम 1.6 द्मद्द /द्धड्ड. कैल्शियम 1.4 द्मद्द /द्धड्ड, जस्ता 25 पीपीएम, लोहा 105 पीपीएम, एवं ताम्बा 7 पीपीएम. द्य हरीखाद के प्रयोग से मृदा भुरभुरी, वायु संचार में अच्छी, जल धारण क्षमता में वृद्धि, अम्लीयता/क्षारीयता में सुधार एवं मृदा क्षरण भी कम होता है। हरीखाद के प्रयोग से मृदा में सूक्ष्मजीवों की संख्या एवं क्रियाशीलता बढ़ती है तथा मृदा की उर्वरा शक्ति एवं उत्पादन क्षमता भी बढ़ती है। हरीखाद के प्रयोग से मृदा जनित रोगों में भी कमी आती है। यह खरपतवारों की वृद्धि रोकने में भी सहायक हैं। किसान भाई इसके प्रयोग से रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कम कर बचत कर सकते हैं तथा टिकाऊ खेती भी कर सकते हैं।

You Might Also Like

स्व.जयलाल चौधरी के पुण्यतिथि पर फल-खीर वितरण

सडक़ सुरक्षा पर ट्रैफिक पुलिस की सख्ती

मोटर-बोट ले जाने विभाग के पास नहीं वाहन

स्टंटबाज बाइकर्स को लगा 7100 का चूना

बावलीकुंआ जुआ अडडे पर पुलिस की रेड

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Email
Previous Article कैलाश नायक ने सीएम साय से की सौजन्य मुलाकात
Next Article समर कैंप में बच्चों ने संगीत और गायकी का लिया आनंद

खबरें और भी है....

सीएम हाउस में भाजपा का उत्कृष्ट सदस्यता सम्मान समारोह
एबी-पीएमजेएसवाई के तहत ईलाज में छत्तीसगढ़ का चौथा स्थान
सडक़ हादसे में अड़ानी के डीजीएम की मौत
विशेष पिछड़ी जनजातियों को विकास की सबसे ज्यादा जरूरत -सीएम साय
रेलवे स्टेशन में ओएचई कार्य के चलते दो घंटे का रहा ब्लाक

Popular Posts

सीएम हाउस में भाजपा का उत्कृष्ट सदस्यता सम्मान समारोह
मेगा हेल्थ कैंप का मिला फायदा, गंभीर एनीमिया से पीड़ित निर्मला को तुरंत मिला इलाज
स्कूल व आंगनबाड़ी के बच्चों का शत-प्रतिशत जारी करें जाति प्रमाण पत्र,कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने बैठक लेकर राजस्व विभाग की कामकाज की समीक्षा
दृष्टिहीन मिथिला का मौके पर बना राशन कार्ड, शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना से लाभान्वित करने के दिए निर्देश
डेंगू से निपटने निगम और स्वास्थ्य की टीम फील्ड पर,पिछले 5 साल के मुकाबले इस साल केसेस कम, फिर भी सतर्कता जरूरी

OWNER/PUBLISHER-NAVIN SHARMA

OFFICE ADDRESS
Navin Kadam Office Mini Stadium Complex Shop No.42 Chakradhar Nagar Raigarh Chhattisgarh
CALL INFORMATION
+91 8770613603
+919399276827
Navin_kadam@yahoo.com
©NavinKadam@2022 All Rights Reserved. WEBSITE DESIGN BY ASHWANI SAHU 9770597735
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?