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NavinKadam > जशपुरनगर > जशपुरांचल के समाज सेवक जागेश्वर यादव को पद्मश्री पुरस्कार
जशपुरनगर

जशपुरांचल के समाज सेवक जागेश्वर यादव को पद्मश्री पुरस्कार

lochan Gupta
Last updated: May 10, 2024 11:28 pm
By lochan Gupta May 10, 2024
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3 Min Read

जशपुर। जिले के समाज सेवक जागेश्वर यादव को राष्ट्रपति भवन, दिल्ली में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्मश्री से सम्मानित किया है। बिरहोर आदिवासियों के उत्थान के लिए बेहतर कार्य के लिए पद्मश्री पुरस्कार मिला है। बता दें कि जागेश्वर यादव का नाम 2024 के पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित हुआ था।
बगीचा ब्लॉक के भितघरा गांव में पहाडिय़ों और जंगल के बीच रहने वाले जागेश्वर यादव 1989 से ही बिरहोर जनजाति के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने इसके लिए जशपुर जिले में एक आश्रम की स्थापना की है। साथ ही शिविर लगाकर निरक्षरता को खत्म करने और लोगों तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत की है।
‘बिरहोर के भाई’ के नाम से
चर्चित हैं जागेश्वर यादव
जागेश्वर यादव का जन्म जशपुर जिले के भितघरा में हुआ था। जागेश्वर यादव ‘बिरहोर के भाई’ के नाम से चर्चित हैं। बचपन से ही इन्होंने बिरहोर आदिवासियों की दुर्दशा देखी थी। उस समय घने जंगलों में रहने वाले बिरहोर आदिवासी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से वंचित थे। जागेश्वर ने इनके जीवन को बदलने का फैसला किया।
आदिवासियों को जानने
उनके बीच रहे
इसके लिए सबसे पहले उन्होंने आदिवासियों के बीच रहना शुरू किया। उन्होंने उनकी भाषा और संस्कृति को सीखा। इसके बाद उनमें शिक्षा की अलख जगाई और स्कूलों में भेजने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके प्रयासों का नतीजा था कि कोरोना के दौरान टीकाकरण की सुविधा मुहैया कराई जा सकी। इसके अलावा शिशु मृत्यु दर को कम करने में भी मदद मिली।
2015 में मिल चुका है शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान
जागेश्वर को उनके बेहतर कार्य के लिए पहले भी 2015 में शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान मिल चुका है। जागेश्वर के लिए आर्थिक कठिनाइयों की वजह से यह सब आसान नहीं था। लेकिन उनका जुनून सामाजिक परिवर्तन लाने में सहायक रहा।
बाहरी लोगों को देखते ही भाग जाते थे बिरहोर जनजाति के लोग
जागेश्वर बताते हैं कि पहले बिरहोर जनजाति के लोग और उनके बच्चे किसी अन्य लोगों से मिलते-जुलते नहीं थे। बाहरी लोगों को देखते ही भाग जाते थे। इतना ही नहीं जूतों के निशान देखकर भी छिप जाते थे। ऐसे में पढ़ाई के लिए स्कूल जाना तो बड़ी दूर की बात थी। लेकिन अब समय बदल गया है। जागेश्वर यादव के प्रयासों से अब इस जनजाति के बच्चे भी स्कूल जाते हैं।
परिवार और पूरे गांव में
खुशियों की लहर
गौरतलब है कि जागेश्वर यादव के पद्मश्री पुरस्कार के लिए चयनित होने के बाद से ही परिवार और पूरा गांव खुशियां मना रहा था। लोगों का बधाई देने के लिए उनके घर आने का सिलसिला जारी था । वहीं गुरुवार को पद्म पुरस्कार समारोह में पद्मश्री से सम्मानित किया, जिसके बाद से ही परिवार और पूरा गांव सहित जिले भर में लोग गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।

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