जशपुरनगर। लोकसभा निर्वाचन 2024 अंतर्गत कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. रवि मित्तल के मार्गदर्शन में जशपुर जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए नियुक्त सेक्टर अधिकारियों को आज जिला पंचायत सभाकक्ष में मास्टर ट्रेनर प्रोफेसर डी. आर. राठिया द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। मास्टर ट्रेनर द्वारा सेक्टर अधिकारियों की भूमिका को विस्तार से बताया गया। मास्टर ट्रेनर द्वारा प्रशिक्षण कार्यक्रम में सेक्टर अधिकारियों को निर्वाचन से संबंधित कार्यों का बोध कराया गया। जिले में 116 सेक्टर अधिकारियों को नामित किया गया है। प्रथम चरण के प्रशिक्षण परीक्षा उपरांत कम अंक लाने वाले एवं अनुपस्थिति सेक्टर अधिकारियों का दुबारा प्रशिक्षण दिया गया। इस दौरान कौशल विकास के सहायक संचालक श्री प्रकाश यादव सहित निर्वाचन शाखा के कर्मचारी उपस्थित थे। मास्टर ट्रेनर ने बताया कि सेक्टर अधिकारी, निर्वाचन अधिकारी एवं मतदान दल के बीच के कड़ी होते हैं। इसलिए उन्हें अपने अधीनस्थ सेक्टर के सभी केन्द्रों की मतदान प्रक्रिया प्रभावित न हो इसलिए सेक्टर अधिकारियों को मतदान के पूर्व, मतदान सामग्री वितरण के दिन तथा मतदान दिवस को क्या-क्या कार्य किया जाता है के संबंध में विस्तार पूर्वक जानकारी दी गई है। तथा ईव्हीएम में समस्या आने पर त्वरित समाधान कैसे किया जाता है के बारे में जानकारी दी गई है। तथा ईवीएम,सीयू,बीयू वीवीपीएटी का हैंड्स ऑन ट्रेनिंग एवं सीलिंग की प्रक्रिया के बारे में दी गई जानकारी।निर्वाचन कार्य के सभी बिन्दुओं का महत्व समझते हुए किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं करने के स्पष्ट निर्देश दिए। सेक्टर अधिकारियों को आदर्श आचार संहिता लागू होने से लेकर आचार संहिता समाप्त होने तक उनके दायित्वों की जानकारी दी गई। संवेदनशील क्षेत्र जहां, मतदान के दौरान विवाद होने की स्थिति बनी रहती हैं, ऐसे क्षेत्रों में अधिक संवेदनशीलता और गम्भीरता से कार्य करने को कहा।
स्थानीय स्तर पर पूर्व में घटित घटनाओं के आधार पर मतदान केन्द्रों में कानून व्यवस्था सुनिश्चित कराने के लिए पुलिस अधिकारियों की मदद लेने को कहा। मास्टर ट्रेनर ने कहा कि सेक्टर अधिकारी के पास चुनावों से सम्बंधित सबसे अधिक जिम्मेदारी होती है। निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही उनके काम शुरू हो जाते हैं और मतदान प्रक्रिया ख़त्म होने के बाद ही वे मुक्त हो सकते है। एक सेक्टर अधिकारी दस से बारह मतदान केन्द्रों का प्रभारी होता है। वह अपने प्रभार के मतदान दलों का फ्रैंड फिलॉसफर गाइड होता है। अपने सेक्टर में वह निर्वाचन आयोग का प्रतिनिधि भी होता है। वह मतदान दल और आर.ओ.,ए.आर.ओ. के बीच की कड़ी भी होता है। उन्हें नियुक्त होते ही अपने प्रभार के केन्द्रों को दौरा करना चाहिए। उन्हें ईवीएम के बारे में पूरी जानकारी, बिना भ्रम और बिना शंका, होनी चाहिए। सेक्टर अधिकारी को मतदान प्रक्रिया की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए। उन्हें अपने क्षेत्र और उसके पहुँच मार्गों की भी अच्छी जानकारी होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सेक्टर अधिकारी को मतदान से पहले अपने प्रभार के मतदान केन्द्रों का दौरा करके जानकारी ले लेनी चाहिए। यदि सेक्टर में भ्रमण में कोई बाधा हो, जैसे टूटे पुल-पुलिया या कटी सडक़ तो सेक्टर अधिकारी तत्काल आर.ओ.,ए.आर.ओ. एवं सम्बंधित एजेंसी को सूचित कर सकते है। प्रकाश, छाया, पेय जल, शौचालय, रैंप व्यवस्था की भी जानकारी होनी चाहिए। राजनैतिक दलों एवं प्रत्याशियों के कार्यालय केंद्र से 200 मीटर से अधिक दूर होना चाहिए। यदि मतदान केंद्र नया है तो उसका पर्याप्त प्रचार किया जाना चाहिए। सेक्टर अधिकारी यह भी नजऱ रखें कि उनके सेक्टर में आदर्श आचार संहिता का पालन हो रहा है। अपने क्षेत्र में अनाधिकृत प्रचार वाहनों की आवाजाही, शासकीय संपत्ति के दुरुपयोग और उनके तथा निजी संपत्तियों के विरूपण पर भी नजऱ रखें। क्षेत्रीय संवेदनशीलता का आकलन, कारकों की पहचान करना और आर.ओ.,ए.आर.ओ. को प्रपत्र-2 में सूचित करना, संवेदनशील क्षेत्रों के मतदाताओं को उनकी सुरक्षा के प्रति आश्वस्त करना आदि कार्य सेक्टर अधिकारी के होंगे।
निर्वाचन कार्य के लिए सेक्टर अधिकारियों को दिया गया प्रशिक्षण
निर्वाचन से संबंधित कार्यों का कराया गया बोध, ईवीएम, वीवीपैट का हैंड्स ऑन ट्रेंनिंग एव सीलिंग प्रक्रिया की दी गई जानकारी
