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NavinKadam > सारंगढ़ > अंगदान है एक वरदान, जरूर कीजिये ये महादान : डॉ. निराला
सारंगढ़

अंगदान है एक वरदान, जरूर कीजिये ये महादान : डॉ. निराला

lochan Gupta
Last updated: February 25, 2024 10:59 pm
By lochan Gupta February 25, 2024
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6 Min Read

सारंगढ़। जिला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के आने के बाद अब देहदान और अंगदान की प्रक्रिया शुरू हो गयी है। जिला कलेक्टर कुमार चौहान के निर्देशन में यह आव्हान आमजनता से की जा रही है कि – सभी इस पुनीत कार्य मे अपना सहयोग भरपूर करें। देहदान और अंगदान हेतु आवश्यक दस्तावेज अब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी सारंगढ़-बिलाईगढ़ के कार्यालय में उपलब्ध है।
देहदान के लिए दस्तावेज नजदीकी मेडिकल कॉलेज रायगढ़ को अग्रेषित किया जाएगा तथा अंगदान हेतु राज्य के एक मात्र सबसे बड़े सर्वसुविधायुक्त मेडिकल कॉलेज रायपुर को अग्रेसित किया जाएगा। अंगदान में मरणोपरांत परिजन द्वारा दानदाता के पूरे शरीर को सम्बंधित मेडिकल कॉलेज को सौंपने का प्रावधान होता है जबकि अंगदान में मृत्यु उपरांत दानदाता आवश्यक जरूरी काम आ सकने वाले अंगों का दान किया जाता है। जिसमें हमारे शरीर के अंगों या उत्तक का जैसे – किडनी , लिवर, हार्ट, हार्ट वाल्व , स्किन, कॉर्निया, इंटेस्टाइन, पैंक्रियाज, लंग्स का दान कर सकते हैं।
मनुष्य के मृत्यु मस्तिष्क मृत्यु / हृदय मृत्यु के पश्चात् अपने अंग एवं ऊतक दान कर, कई व्यक्तियों को जीवन दे सकता है। इसके लिए मृतक के निकटतम संबंधी की सहमति आवश्यक है ।अंगदान और प्रत्यारोपण को कानून द्वारा अनुमति प्राप्त है व यह मानवअंग प्रत्यारोपण अधिनियम टीएचओए 1994 के अंतर्गत आता है इसका मुख्य उद्देश्य चिकित्सीय प्रयोजनों के लिए मानव अंगों के निष्कासन, भंडारण और प्रत्यारोपण को विनियमित करना है।अंगदान कौन कर सकता है? जीवित व्यक्ति के लिये अंगदान के समय न्यूनतम आयु 18 वर्ष होना अनिवार्य है। साथ ही साथ अधिकांश अंगों के प्रत्या रोपण का निर्णायक कारक व्यक्ति की शारीरिक स्थिति होती है, उसकी आयु नहीं। जीवित अंगदाता द्वारा एक किडनी, अग्न्याशय, और यकृत के कुछ हिस्से दान किये जा सकते हैं। कॉर्निया, हृदय वाल्व, हड्डी और त्वचा जैसे ऊतकों को प्राकृतिक मृत्यु के पश्चात् दान किया जा सकता है, परंतु हृदय, यकृत, गुर्दे, फेफड़े और अग्न्याशय जैसे अन्य महत्त्वपूर्ण अंगों को केवल ब्रेन डेड के मामले में ही दान किया जा सकता है। कार्डियक डेथ अर्थात प्राकृतिक रूप से मरने वाले का सामान्यत: नेत्र दान किया जाता है। मानव अंग प्रत्या रोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011इस अधिनियम में मानव अंगदान के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने के प्रावधान किए गए थे। साथ ही अधिनियम के दायरे को और अधिक व्यापक कर उसमें ऊतकों को भी शामिल कर लिया गया था।
इन प्रावधानों में रिट्रीवल सेंटर और मृतक दानकर्ता से अंगों के  रिट्रीवल के लिए उनका पंजीकरण, स्वैप डोनेशन व अस्पताल के पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर द्वारा अनिवार्य जांच करना शामिल है। इस अधिनियम में राष्ट्रीय स्तर पर दानकर्ताओं और प्राप्तकर्ताओ के पंजीकरण का भी प्रावधान है । मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 2024 इस अधि नियम के तहत अंगदान के कार्य को सहज, सरल और पारदर्शी बनाने तथा नियमों की गलत व्याख्या रोकने के प्रावधान किये गए हैं यदि अंग दान प्राप्तकर्ता विदेशी नागरिक हो और दानदाता भारतीय, तो बगैर निकट रिश्तेदारी के प्रत्यारोपण की अनुमति नहीं मिलेगी और इस संबंध में निर्णय प्राधिकार समिति द्वारा लिया जाएगा। जब प्रस्तावित अंगदान कर्ता और अंग प्राप्तकर्ता करीब संबंधी न हों तो प्राधिकार समिति यह मूल्यांकन करती है कि-अंग दानकर्ता और अंग प्राप्तकर्ता के बीच किसी भी तरह का व्यावसायिक लेन – देन न हो। देशभर में अंगदान को बढ़ावा देने के लिये केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय अंग प्रत्या रोपण कार्यक्रम लागू किया है। वहीं ब्रेन डेड व्यक्ति से अंगदान को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार ने अनेक उपाय किये हैं जैसे- नई दिल्ली में राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (हृह्रञ्जञ्जह्र) और पूरे भारत में सभी राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों के लिये 5 अन्य क्षेत्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (क्रह्रञ्जञ्जह्र) स्थापित किये हैं, जिनमें से ऐसा ही एक संस्थान पी.जी.आई चंडीगढ़ में स्थापित किया गया है जो कि उत्तरी भारत के 7 राज्यों पंजाब, हरियाणा हिमाचल, चंडीगढ़, जम्मू- कश्मीर, लद्दाख उत्तराखंड में अंग और ऊतक दान की  निगरानी करता है।
इसी प्रकार अपने राज्य छग में अंग व ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (स्ह्रञ्जञ्जह्र) की स्थापना साल 2021 में रायपुर के डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हुई थी। स्ह्रञ्जञ्जह्र का मकसद, अंग और ऊतक प्रत्यारोपण सेवाओं की निगरानी करना और समय-समय पर ज़रूरत के मुताबिक नीतियां और कार्यक्रम लाना है। भारत में, अंगदान को महादान माना जाता है । अंगदान को अनिवार्य बनाकर, कई देशों ने अंग प्रत्यारोपण को बढ़ावा दिया है। अंगदान को बढ़ावा देने के लिए, सरकार ने वन नेशन वन पॉलिसी ऑफ़ ऑर्गनडोनेशन के नियम लागू किए हैं। अब तक, अंग लेने के लिए डोमिसाइल की ज़रूरत होती थी । व्यक्ति केवल अपने ही राज्य में अंग लेने के लिए रजिस्टर कर सकता था।

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