रायगढ़। 15 फरवरी को आकाशवाणी रायगढ़ की ओर से रायगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत जुर्डा में रेडियो किसान दिवस का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम में मौजूद किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र और कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसरों के साथ अन्य विशेषज्ञों द्वारा खेती की नई तकनीकी की जानकारी दी गई।
इसके पहले मां भारती के तैल चित्र पर माल्यार्पण कर पूजा अर्चना की गई और कार्यक्रम का शुभारंभ मां शारदे की वंदना से हुआ। किसानवाणी के सूत्रधार चवल पटेल ने सरस्वती वंदना का गायन किया। इसके बाद आकाशवाणी के कार्यक्रम प्रमुख और किसानवाणी प्रभाग के प्रभारी अधिकारी नीरज प्रभाकर ने रेडियो किसान दिवस के उद्देश्य और रेडियो किसानों के लिए किस तरह का कार्यक्रम आयोजित करता है उसकी जानकारी दी। उन्होंनें इस साल पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा अरहर की खेती में 2027 तक पूरी तरह आत्म निर्भर बनाने और मीठी क्रांति को लेकर किए जा रहे प्रयास की जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में किसानवाणी प्रभाग के सूत्रधार मुकेश चतुर्वेदी, दिलीप चैधरी, वेणुधर पटेल, सुषील प्रधान, अजय श्रीवास, धवल किषोर गुप्ता हर्ष प्रकाष नामदेव, रामबिलास पटेल, स्वतंत्र महंत और आकाशवाणी के इंजीनियरिंग सेक्शन से अखिलेष कछवाहा समेत दर्जनों की संख्या में किसान और ग्रामीण उपस्थित थे।हर साल 15 फरवरी को रेडियो किसान दिवस का आयोजन किया जाता है। इस कार्यक्रम के लिए ऐसे गांवों का चयन किया जाता है जहां वृहद रूप से खेती किसानी, पशुपालन के अलावा आय बढाने की दिशा में काम किया जाता है। आकाशवाणी का किसानवाणी प्रभाग किसानों की आय वृ़िद्ध करने की थीम पर काम करते आ रहा है। इसके लिए रेडियो के माध्यम से नए-नए तरीके बताए जाते हैं और विशेषज्ञों द्वारा जानकारी भी दी जाती है। साथ ही प्रगतिशील किसानों के अनुभवों को भी रेडियो कार्यक्रम के माध्यम से साझा किया जाता है। इसी कडी में रेडियो किसान दिवस कार्यक्रम का आयोजन रायगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत जुर्डा में किया गया।
इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र रायगढ़ के डॉ बीके राजपूत ने रेडियो किसान दिवस की प्रासंगिकता को लेकर कहा कि इस तरह के आयोजन से किसानों को बड़ा लाभ मिलता है। उन्होंने कहा कि जहां कोई नहीं पहुंचता वहां रेडियो के माध्यम से आकाषवाणी पहुंच रहा है। उन्होंने खेती को लेकर कहा कि पहले लोग जीविकोपार्जन के लिए खेती करते, लेकिन अब यह व्यावसायिक हो रहा है। उन्होंने खेती में कौन-कौन सी फसल ले सकते हैं उसकी जानकारी दी। श्री राजपूत ने खेती में सहायक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। इसमें पशुपालन, मछली पालन, बतख पालन, मुर्गी पालन, उद्यानिकी फसल लगाने की बात कही। उन्हों ने खेती और पषुपालन को एक दूसरे का पूरक बताया। उन्होंने मुर्गी पालन को अभी के समय में अतिरिक्त आमदनी का एक अच्छा स्रोत बताया। मृदा वैज्ञानिक केडी महंत ने मिटटी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिटटी में 17-18 पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसमें जैविक कार्बन का प्रबंधन करना आवष्यक होता है। जैविक कार्बन प्राकृतिक तत्वों को जोडक़र रखता है। खेत में जो भी रासायनिक खाद डाला जाता है उसमें से 87 फीसदी उडक़र चला जाता है। इसी तरह तेजस्वरी गबेल ने मछली पालन किस तरह से किया जा सकता है इसकी जानकारी दी। उन्होंने इसके लिए कई तरह की योंजनाएं संचालित होने और प्रषिक्षण देने की जानकारी दी। वरिष्ठ पषु चिकित्सक शैलेष कुमार झा ने पशु नस्ल सुधार करने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि खेती में जैसे हाईब्रीड बीज का जिस तरह उपयोग किया जाता है उसी तरह से पषुओं में भी हाईब्रीड के लिए पशु नस्ल सुधार करना जरूरी होता है।
जुर्डा में रेडियो किसान दिवस का आयोजन
किसानों को दी गई उन्नत खेती की जानकारी, किसानों की समस्याओं और जिज्ञासाओं का भी किया गया समाधान
