रायपुर। वर्तमान समय में बच्चों की विभिन्न समस्याओं के लिए जगह जगह बहुत से थैरेपी सेन्टर बनते जा रहे हैं। इन समस्याओं में मुख्य रूप से स्पीच, ऑटिज्म, एडीएचडी इत्यादि हैं। अचानक ही इन समस्याओं के बढ़ जाने से अभिभावकों के साथ-साथ स्कूलों की जिम्मेदारी भी बढ़ जाती है। एक बच्चा पहली बार घर से अलग वातावरण में अपने स्कूल जाता है जहां माता – पिता से अलग उसकी अपनी एक पहचान होती है। जब वह अपने स्तर पर अपने कार्य करता है, अपने प्रयास से दोस्त बनाता है या अपनी एक जगह बनाता है, तब उस प्रक्रिया में बच्चे के बहुत से पहलू देखने को मिलते हैं। जिस तरह पांचों उंगलियां बराबर नहीं होती, ठीक उसी तरह हर बच्चा अलग होता है, हर बच्चे में अलग विशेषताएं होती हैं। विभिन्न कारणों से कुछ बच्चे आंतरिक रूप से बहुत सी बाधाओं का सामना करते हैं, जिनको समझ कर यदि टीचर्स उनका साथ दें तो वे जल्दी सफल होंगे। टीचर्स को इन्हीं सब समस्याओं और उनसे निपटने के तरीकों के बारे में विस्तृत जानकारी देने हेतु, ब्लूमिंग बड्स ने 15 नवम्बर, शनिवार को टीचर्स के लिए ट्रेनिंग सेशन का आयोजन किया जिसमें नगर के प्रतिष्ठित थैरेपी सेन्टर ‘मॉम्स बिलीफ’ के नितिन पात्रा जो कि चाइल्ड साइकोलॉजी के एक्सपर्ट हैं, ने टीचर्स को बच्चों में आजकल सामान्य तौर पर पाई जाने वाली समस्याओं के बारे में बताया एवं उसके निराकरण के सरल और आम तरीकों के बारे में भी जानकारी दी। टीचर्स ने भी अपने अनुभव के आधार पर विस्तृत रूप से बातचीत की। ट्रेनिंग के अंत में ब्लूमिंग बड्स की डायरेक्टर श्रीमती जागृति प्रभाकर ने नितिन का धन्यवाद किया और कहा कि इस तरह की ट्रेनिंग खास तौर पर प्री-प्राइमरी स्कूल के लिए बहुत ही अच्छी एवं आवश्यक है।



