रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना दिवस के 25 वर्ष पूरा होने पर रजत जयंती वर्ष माना रहा है। राज्य द्वारा नवीन तकनीकों एवं नवाचार को अपनाते हुए अपनी समृद्धत्ता की ओर अग्रसर है। राज्योत्सव के अवसर पर इस बार कृषि विभाग के प्रदर्शनी में छत्तीसगढ में कृषि विकास के 25 बछर की झलक देखने को मिलेगी।
रसायन मुक्त खेती की ओर किसानों हो रहे हैं प्रेरित
बता दे कि छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा के रूप में पहचान मिला है, जिसमें कृषि तथा कृषि आधारित उद्योगों का प्रमुख योगदान रहा है। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा कृषकों के चहुमुखी विकास के लिए निरंतर कृषक हितैशी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। पी.एम किसान सम्मान निधि व कृषक उन्नति योजनाओं के द्वारा कृषकों को आर्थिक लाभ एवं प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना द्वारा आकिस्मक वर्षा एवं अन्य आपदाओं से हुई फसल क्षति की प्रतिपूर्ति तथा वर्षा जल संरक्षण एवं उपलब्ध सिंचाई जल का समुचित एवं संतुलित उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा हैं। एकीकृत जल ग्रहण प्रबंधन, प्रधानमंत्री सुक्ष्म सिंचाई योजना तथा पर ड्रोप मोर कॉप जैसी योजनाएं संचालित की जा रही है। ड्रोन दीदी अभियान चला कर उर्वरक की कमी के समाधान हेतु नैनो यूरिया एवं नैनो डी.ए.पी. के प्रयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। पी.एम. प्रणाम कार्यक्रम अन्तर्गत कृषि में रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग को कम करने तथा जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना तथा जैविक खेती के माध्यम से रसायन मुक्त खेती की ओर किसानों को प्रेरित ओर प्रोत्साहित किया जा रहा है।
किसानों की आर्थिक स्थिति में उत्तरोत्तर वृद्धि
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में सहकारी समितियों के माध्यम से कृषकों को शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋण मुहईया कराई जा रही है तथा कृषको द्वारा उपार्जित धान के समूचित उपार्जन तथा उचित मूल्य हेतु समर्थन मूल्य पर सहकारी समितियों के माध्यम से धान उपार्जन की व्यवस्था की गई है। यहां पर धान उपार्जन का मूल्य देश के अन्य राज्यों के तुलना में अधिक है। उपरोक्त समस्त योजनाओं एवं गतिविधियों के कारण राज्य में कृषि के स्तर एवं किसानों के आर्थिक स्थिति में उत्तरोत्तर वृद्धि हो रही है, जिसमें राज्य एवं केन्द्र शासन की कृषक कल्याणकारी योजनाओं का प्रमुख योगदान है।
40.11 लाख किसान परिवार कृषि से जुड़े
वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य में 32.55 लाख किसान परिवार कृषि से अजीविका अर्जित करते थे। वर्तमान में 40.11 लाख किसान परिवार कृषि से जुड़े हैं, जिसमें 24.34 लाख सीमांत, 8.80 लाख लघु एवं 6.97 लाख दीर्घ किसान परिवार सम्मलित हैं। उर्वरक गुण नियंत्रण प्रयोगशाला 08 एवं मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला 36 हो गई। वर्ष 2000 में राज्य में एक उर्वरक गुण नियंत्रण एवं एक मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला संचालित थी। वर्तमान में बढक़र उर्वरक गुण नियंत्रण प्रयोगशाला की संख्या 08 एवं मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला 36 हो गई है, जो कृषि आदानों के गुण नियंत्रण करते हुए कृषकों को उच्च गुणवत्ता युक्त आदान मुहैया कराने में सहायक है। एक कृषि विश्वविद्यालय अन्तर्गत एक 39 महाविद्यालय संचालित- इसी तरह वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य में एक कृषि विश्वविद्यालय अन्तर्गत एक महाविद्यालय संचालित थी। वर्तमान वर्ष 2025 में बढक़र 39 (28) घटक एवं 11 संबंद्ध) कृषि, कृषि अभियांत्रिकी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय हो गये हैं।
6727 हजार हेक्टेयर में क्षेत्राच्छादन
प्रदेश में क्षेत्राच्छादन की दृष्टि से देखा जाय तो छत्तीसगढ़ राज्य की स्थापना वर्ष 2000 में सम्पूर्ण फसलों का कुल क्षेत्रफल 5408 हजार हेक्ट. था। वर्तमान 2025 में 6727 हजार हेक्ट. क्षेत्रफल हो गया है, जिसमें खरीफ फसलों का क्षेत्राच्छादन 4636 हजार हेक्टयर, जो वर्तमान में 4865 हजार हेक्ट. का क्षेत्राच्छादन विस्तारित हुआ है। धान फसल के क्षेत्राच्छादन 3795 हजार हेक्ट से बढक़र 3981 हजार हेक्ट, हो गया है। दलहन का क्षेत्रफल भी 238 हजार हेक्ट. से बढक़र 260 हजार हेक्टेयर हो गया है। इसी प्रकार रबी फसलों में 772 हजार हेक्ट. से बढक़र 1862 हजार हेक्ट. हो गया है। खरीफ फसलों में वर्ष 2000 में 3929 हजार मे. टन उत्पादन रहा। जो 25 वर्षों में बढक़र 12 हजार 927 हजार मे. टन पहुंचा है। इसी प्रकार रबी फसलों का वर्ष 2000 में उत्पादन 483 हजार मे. टन से बढक़र 2775 हजार मे. टन हो गया है। वहीं उत्पादकता वर्ष 2000 में खरीफ फसलों की औसत उत्पादकता 867 कि.ग्रा./हे. थी जो वर्ष 2025 में 2657 कि.ग्रा./हे. पहुंच गया है। इसी प्रकार रबी फसलों की औसत उत्पादकता 625 कि.ग्रा./हे. से बढक़र 1490 कि.ग्रा./हे. प्राप्त हो रहा है। फसल सघनता – वर्ष 2000 में फसल सघनता 112 प्रतिशत थी जो वर्ष 2025 में फसल सघनता बढक़र 138 प्रतिशत हो गयी है। सिंचाई विस्तार वर्ष 2000 में 1042 हजार हेक्ट. क्षेत्र सिंचाई आधारित थे जो वर्तमान में बढक़र 1892 हजार हेक्ट. हो गया है। निरा सिंचित क्षेत्र 984 हजार हेक्ट. से बढक़र वर्तमान में 1486 हजार हेक्ट. पहुंच गया जो कुल क्षेत्र का 32 प्रतिशत है।



