नारायणपुर। जिले में मंगलवार को लगने वाला साप्ताहिक बाजार शेड की हालत जर्जर हो चुकी है, जिससे दुकानदारों और ग्राहकों को परेशानीयों का सामना करना पड़ रहा है। टिन शेड बहुत पुराने और क्षतिग्रस्त हो चुके हैं, भरी बरसात में दुकानदारों को खुले में सामान बेचना पड़ रहा है, और ग्राहकों को भी खरीददारी करने में असुविधा हो रही है दरअसल बाजार को देख रेख करने वाला सही प्रबंधन नहीं है, जिससे यह और भी बदतर हो गया है। प्रतिवर्ष एक लाख रुपये से अधिक में बाजार की नीलामी होती है इसके बावजूद शेडों की मरम्मत नहीं की जा रही है, जिससे सवाल उठना लाजमी है कि बाजार नीलामी का पैसा आखिर जाता कहां है
नारायणपुर के साप्ताहिक बाजार का हाल बेहाल है। बाजार स्थल में बने शेड जर्जर तो हैं ही कचड़ों से भी भरे पड़े हैं। हाट में कोई सामान कहा बेचा जाय इसके लिए न तो कोई प्रबंधन है न कोई बाजार का हाल देखने वाला है। टिन शेड टूटने के कारण बारिश का पानी टपकता है। व्यापारी टूटे हुए टिन के शेड में तिरपाल लगाकर दुकान लगाने के लिए विवश हैं। पंचायत चुनाव के बाद ग्रामीणों को उम्मीद थी कि नारायणपुर में लगने वाले साप्ताहिक हाट के हाल और व्यवस्था में सुधार होगा। परन्तु आज पर्यन्त तक बाजार ठेकेदार और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने इस ओर ध्यान देना मुनासिब समझा।
ज्ञात है कि ग्रामीण क्षेत्र में लगने वाले साप्ताहिक हाटों का वहा के जनजीवन पर बड़ा महत्व है। गाव के किसानों से लेकर साहूकारों तक के लिए खरीद-बिक्री का यह बेहतर जगह होता है। इन साप्ताहिक हाटों में गाव के लोगों के हर जरूरत की चीजें मिल जाया करती हैं। ग्रामीण जीवन का इतना महत्वपूर्ण हिस्सा होने के बाद भी साप्ताहिक हाट बदहाली में हैं। प्रत्येक वर्ष इन हाटों की नीलामी भी होती रही है। शासन की ओर से किसानों के लिए शेड भी बनाए गए हैं। लेकिन शेड अब जर्जर हो गए हैं। पंचायत प्रतिनिधि लाखों रुपये विकास कार्यों में खर्च कर दे रहे हैं, लेकिन साप्ताहिक हाटों को दुर्दशा से उबारने के लिए कोई पहल नहीं किया जा रहा है। आखिर हर साल लाखों रुपए में बाजार की नीलामी होती है वह पैसा बाजार में उपयोग न होकर कहां होता है यह बड़ा सवाल है।
नारायणपुर में लगने वाले साप्ताहिक बाजार में थाना और वन विभाग के वाऊंड्रीवाल की तरफ से जाने वाला मार्ग कीचड़ में तब्दील हो गया है। कीचड़ युक्त मार्ग होने के कारण लोगों को आवागमन में परेशानी हो रही है। व्यापारी भी परेशान हैं। ज्यादातर महिलाओं को कीचड़ में फिसलकर गिरने का डर हमेशा बना रहता हैं क्षेत्र के ग्रामीणों, व्यापारियों व स्थानीय लोगों ने प्रशासन से सडक़ व शेड को दुरुस्त कराने की मांग की है।
साप्ताहिक बाजार का हाल-बेहाल, मरम्मत पर किसी का ध्यान नहीं



