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NavinKadam > रायपुर > जमीन रजिस्ट्री के पद्धति में 10 बडे बदलाव
रायपुर

जमीन रजिस्ट्री के पद्धति में 10 बडे बदलाव

आधार से लिंक होगी प्रॉपर्टी, धोखाधड़ी के मद्देनजर जमीन लेने से पहले मिलेगी डिजिटल डिटेल

lochan Gupta
Last updated: April 29, 2025 12:10 am
By lochan Gupta April 29, 2025
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7 Min Read

रायपुर। छत्तीसगढ़ में जमीन रजिस्ट्री से जुड़े 10 बड़े बदलाव लागू किए जा रहे हैं। सोमवार को इसकी जानकारी पंजीयन विभाग के मंत्री ओपी चौधरी ने दी। मंत्री चौधरी ने पंजीयन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों के काम काज का रिव्यू भी किया।
अफसरों से मंत्री ने कहा कि होम विजिट के माध्यम से पंजीयन कराए जाने की सुविधा और अर्जेंट केस जैसे कि पारिवारिक दान, हकत्याग में पंजीयन फीस मात्र 500/- लिए जाने के निर्देश भी दिए हैं। बैठक में अफसरों ने बताया कि पंजीयन विभाग ने राज्य के लिए 2979 करोड़ राजस्व हासिल किया है। विभाग में 85 नए पदों पर भर्ती की जानी है। मंत्री चौधरी ने भी इसे जल्द शुरू करने को कहा।
1- आधार लिंक सुविधा – पंजीयन कार्यालय में पक्षकारों की शिनाख्ती (पहचान) दो गवाह के द्वारा की जाती है। संपत्तियों के पंजीयन में नकली लोगों का शामिल होना एक बहुत आम समस्या है। अक्सर देखने में आता है, कि अमुक व्यक्ति की संपत्ति दूसरे व्यक्ति ने बेच दिया है। इससे वास्तविक भूमि स्वामी को सालों कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाने पड़ते है। आधार लिंक होने से बायोमैट्रिक के माध्यम से पक्षकार की पहचान आधार डेटा बेस से की जाएगी।
2- ऑनलाइन सर्च और डाउनलोड की सुविधा – आम आदमी सालों जमा पूंजी लगाकर स्वयं का घर खरीदते है, इसलिए संपत्ति खरीदने से पहले पूरी जांच पड़ताल आवश्यक है। अभी रजिस्ट्री की जानकारी के लिए पंजीयन कार्यालय में स्वयं या वकील के माध्यम से उपस्थित होकर सर्च करना पड़ता है, इस प्रक्रिया को ऑनलाइन किया गया है। आम आदमी के लिए यह एक जरूरी सुविधा है। संपत्ति खरीदने से पहले उसकी भलि-भांति जांच पड़ताल पक्षकार खुद कर सकेंगें। निर्धारित शुल्क का भुगतान कर खसरा नंबर से पूर्व की सभी रजिस्ट्री का ब्यौरा देखा जा सकेगा। साथ ही उसकी प्रति को डॉउनलोड किया जा सकेगा । जानता को घर बैठे सर्च की सुविधा होने से पक्षकारों को रजिस्ट्री ऑफिस में भटकना नहीं पड़ेगा। इससे आम आदमी धोखाधड़ी का शिकार होने से बच सकेगा।
3- भारमुक्त प्रमाण पत्र – संपत्ति लेने से पहले पूर्व पक्षकारों को यह जानना जरूरी है कि संपत्ति पर किसी प्रकार का भार या बंधक तो नहीं है। या संपत्ति किसी अन्य को पूर्व में बेच तो नहीं दी गई। पक्षकारों की सुविधा के लिए आनलाइन सर्च के साथ ही भारमुक्त प्रमाण पत्र ऑनलाइन जारी करने का प्रावधान किया गया है। ऑनलाइन आवेदन करने पर ऑनलाइन ही भारमुक्त प्रमाण पत्र संबंधित को उपलब्ध करा दिया जायेगा।
4- एकीकृत कैशलैस भुगतान की सुविधा- वर्तमान में रजिस्ट्री ऑफिस में पंजीयन शुल्क का भुगतान नकद किया जाता है। इसे कैशलैस बनाया गया है। स्टांप और पंजीयन शुल्क का भुगतान पक्षकार अपनी सुविधानुसार क्रेडिट डेबिट कार्ड, क्कह्रस् मशीन, नेट बैंकिंग अथवा क्कढ्ढ से कर सकेंगे। पक्षकार को स्टाम्प ड्यूटी और पंजीयन फीस का भुगतान अलग अलग करना पड़ता था, जिसमें पक्षकारों के साथ-साथ विभाग को भी कैश हैंडलिंग की समस्या होती थी। अब इंटीग्रेटेड कैशलैस पेमेंट सिस्टम से दोनों शुल्क एक साथ भुगतान हो सकेगा।
5-वॉट्सऐप मैसेज सर्विसेज- आज के समय में वॉट्सऐप एक व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जाने वाला मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है। पंजीयन प्रणाली में पक्षकारों को (क्रेता/विक्रेता) को वॉट्सऐप के माध्यम से नोटिफिकेशन भेजने के संबंध में वॉट्सऐप मैसेजिंग सर्विस का प्रावधान किया गया है। पक्षकारों को आवेदन प्रस्तुति स्लॉट बुकिंग, पंजीकरण की प्रगति और पंजीकरण पूर्ण होने के संबंध में रियल-टाइम जानकारी प्राप्त हो सकेगी।
6- डिजी-लॉकर की सुविधा- रजिस्ट्री दस्तावेजों को भारत सरकार के डिजी-लॉकर सुविधा के माध्यम से सुरक्षित स्टोर किया जा सकेगा। वर्तमान में शासन और निजी क्षेत्र के विभिन्न सेवाओं के लिए रजिस्ट्री पेपर की आवश्यकता पड़ती है, जिसके लिए पक्षकार को रजिस्ट्री ऑफिस आना पड़ता है। डिजी-लॉकर के माध्यम से इसका एक्सेस और नकल प्राप्त किया जा सकेगा।
7- ऑटो डीड जनरेशन की सुविधा- वर्तमान पंजीयन प्रक्रिया में पक्षकार को दस्तावेज बनाने, स्टांप खरीदने, अपॉइंटमेंट लेने और पंजीयन के लिए प्रस्तुत करने के बीच अलग-अलग लोगो जैसे डीड राइटर,स्टांप वेंडर आदि का चक्कर लगाना पड़ता है। जनता की सुविधा के लिए रजिस्ट्री को पेपर लेस बना दिया गया है। इस प्रक्रिया में विलेख प्रारूप का चयन कर कंप्यूटर में एंट्री करने के दौरान दस्तावेज खुद तैयार हो जाता है और वही दस्तावेज पेपरलेस होकर उप पंजीयक को ऑनलाइन प्रस्तुत होगा। रजिस्ट्री करने के बाद दस्तावेज खुद ही ऑनलाइन प्राप्त हो जाएगा।
8- डिजी-डॉक्यूमेंट की सुविधा- कई ऐसे दस्तावेज होते हैं जिसमें स्टाम्प लगाना जरूरी है, लेकिन पंजीयन नहीं होता है, जैसे कि शपथ पत्र, अनुबंध पत्र। कानूनी भाषा की जटिलता के कारण लोगों को स्वयं ऐसे दस्तावेज तैयार करने में कठिनाई होती है। इसके निराकरण के लिए डिजी-डॉक सेवा विकसित किया गया है। इस सेवा के माध्यम से आम नागरिक दैनिक उपयोग में आने वाले दस्तावेज तैयार कर सकेंगे। डिजी-डॉक सुविधा के तहत डिजीटल स्टाम्प के साथ दस्तावेज तैयार जाता है।
9- घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा- ऑनलाइन विलेख निर्माण, साक्षात्कार और पंजीयन की व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। होम विजिट के माध्यम से पंजीयन कराए जाने की सुविधा और तत्काल अपॉइंटमेंट सहित पारिवारिक दान, हक त्याग आदि में पंजीयन फीस मात्र 500 रुपए लिए जाने का प्रावधान है।
10- स्वत: नामांतरण की सुविधा- अचल संपत्ति के दस्तावेजों के पंजीयन उपरान्त उसे राजस्व विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज कराने के लिए नामांतरण की कार्रवाई के लिए वर्तमान में पक्षकारों को लगभग 1 से 2 माह तक का समय लग जाता है। कुछ प्रकरणों में कई महीने भी लग जाते हैं। शासन की ओर से आम जनता की सुविधा के लिए पंजीयन के साथ ही नामांतरण के संबंध में राजस्व विभाग के साथ इंटीग्रेशन किया गया है। यह सुविधा अभी मात्र आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु राज्यों में ही है। साथ ही हरियाणा में खुद नामांतरण 7 दिन बाद होता है। पंजीयन विभाग राजस्व विभाग और एनआईसी की टीम द्वारा संयुक्त रूप से इसे विकसित किया गया है। इससे पक्षकारों को बिचौलियों से मुक्ति के साथ नामांतरण की लंबी प्रक्रिया से होकर गुजरना नहीं पड़ेगा। समय और श्रम के साथ-साथ आर्थिक बोझ भी कम होगा।

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