भटगांव। नगर के देवांगन भवन मे स्व.परदेशी लाल देवांगन के स्मृति मे चल रहे श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दूसरे दिन कथा व्यास बाल ब्रहमचारी ज्योतिषाचार्य अमन दत्त महाराज वृंदावन वाले ने परिक्षित संवाद सृष्टि क्रम व कपिल व्याख्यान का प्रसंग सुनाते हुए कहा कि एक बार परिक्षित महाराज वनों मे काफी दूर चले गए। उनको प्यास लगी, पास मे समीक ऋ षि के आश्रम मे पहुंचे और बोले ऋ षिवर मुझे पानी पिला दो मुझे प्यास लगी है, लेकिन समीक ऋ षि समाधि मे थे, इसलिए पानी नही पिला सके। परिक्षित ने सोचा कि इसने मेरा अपमान किया है मुझे भी इसका अपमान कर ना चाहिए। उसने पास मे से एक मरा हुआ सर्प उठाया और समीक ऋ षि के गले मे डाल दिया। यह सूचना पास मे खेल रहे बच्चो ने समीक ऋ षि के पुत्र को दी। ऋ षि के पुत्र ने नदी का जल हाथ मे लेकर शाप दे डाला जिसने मेरे पिता का अपमान किया है वो आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और उसे जलाकर भस्म कर देगा।
समीक ऋ षि को जब यह पता चला तो उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परिक्षित है और यह अपराध इन्होने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। देवयोग वश परिक्षित ने आज वही मुकुट पहन रखा था। समीक ऋ षि ने यह सूचना जाकर परिक्षित महाराज को दी कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प तुम्हे नष्ट कर देगा। यह सुन कर परिक्षित महाराज दुखी नही हुए और अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंप कर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहा पर बड़े बड़े ऋ षि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत मे व्यास नंदन सुकदेव वहा पर पहुंचे। सुकदेव को देखकर सभी खड़े होकर सुकदेव का स्वागत किया। सुकदेव इस संसार में भागवत का ज्ञान देने के लिए ही प्रकट हुए है। सुकदेव का जन्म विचित्र तरीके से हुआ, कहते है बारह वर्ष तक मां के गर्भ में सुकदेव जी रहे।
एक बार सुकदेव जी पर देवलोक की अप्सरा रंभा आकर्षित हो गई और उनसे प्रणय निवेदन किया। सुकदेव ने उसकी ओर ध्यान नही दिया। जब वह बहुत कोशिश कर चुकी, तो सुकदेव ने पूछा, आप मेरा ध्यान क्यों आकर्षित कर रही है। मै तो उस सार्थक रस को पी चुका हूं, जिससे क्षण भर हटने से जीवन निरर्थक होने लगता है। मै उस रस को छोडक़र जीवन को निरर्थक बनाना नही चाहता। वही कथा के दूसरे दिन बड़ी संख्या मे महिला पुरुष कथा सुनने पहुंचे। जहां श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह के मुख्य यजमान राकेश रजनी देवांगन भी कथा रसपान कर रहे थे।
क्रोध स्वयं के लिए घातक होता है : अमन दत्त
