रायगढ़। छत्तीसगढ़ में पहले चरण के मतदान के बाद कांग्रेस की सांस फूलने लगी है, जिसका सीधा असर रायगढ़ जिले के अलग-अलग सीटों पर भी साफ नजर आ रहा है। सत्ता के गलियारों में 5 साल तक राजपाठ का स्वाद ले चुके नेता चुनाव के मौके में जनता पर नोट लूटाने की जद्दोजहद करते नजर आ रहे हैं। रायगढ़ जिले की अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीट धरमजयगढ़ क्षेत्र में इन दोनों ऐसा ही नजारा है। विरासत में मिली राजनीति से अपनी तिजोरी भरने वाले नेता इस बार खुले तौर पर नोटों की राजनीति पर उतरता जा रहा है।
इस आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में वोट के लिए नोट का खेल शुरू कर दिया गया है। इस आदिवासी अंचल में गांव-गांव पिकनिक पार्टी में शराब और कबाब का इंतजाम सत्ता के मद में चूर नेता और उनके गुर्गे करते दिख रहे हैं। आचार संहिता को ताक पर रखकर मतदाताओं को रिझाने की मुहिम में जुटे सत्ताधारी दल को किसी की परवाह नहीं है। लोकतंत्र के पर्व को अपनी जीत का पर्व बनाने की इस कोशिश पर आम मतदाता प्रशासनिक पहल की उम्मीद भी नहीं कर पा रहा है। जिले के धर्मजयगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सत्ता का मद सिर चढक़र बोल रहा है। आचार संहिता लागू रहने के बाद भी क्षेत्र के मतदाताओं से सीधे मोलभाव की कोशिश की जा रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो 5 साल तक सत्ता में रही कांग्रेस के हाथों से गद्दी फिसलने का भय सताने लगा है।
जिससे सत्ताधारी दल के प्रत्याशी गद्दी बचाने के लिए गड्डी का इस्तेमाल पर उतर आए हैं। सबसे ज्यादा धरमजयगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में वोट के लिए नोट का खेल चल रहा है। गांव-गांव में बकरा और शराब की पार्टी का प्रलोभन देकर नोटों के लिफाफे थपाए जा रहे हैं। सूत्रों की माने तो हर वोट का सौदा किया जा रहा है।
सत्ता की कुर्सी जाने के भय से अब तिजोरी और गड़ा धन का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है। आदिवासी बाहुल्य इस क्षेत्र में शराब और कबाब की राजनीति करने वाले नेता अपनी पुरानी नीति पर काम करते साफ दिख रहे हैं। गांव-गांव में वोट के बदले नोट का ढिंढोरा पीटा जा रहा है। खुलेआम आचार संहिता का उल्लंघन होते देख क्षेत्र के मतदाता कुछ भी बोल नहीं पा रहे हैं। राजनीति के जानकारों की माने तो क्षेत्र में विकास की आस लगाए युवाओं को सत्ता का भय दिखाकर बाद में देख लेने की धमकियां दी जा रही है। बताया जाता है कि धर्मजयगढ़ के नरकालों में विधायक का विरोध इसी बात को लेकर होने की बात कही जा रही है।
युवा इस बात से नाराज है कि विधायक बनने के बाद ग्रामीणों को उनके हाल पर छोड़ दिया जाता है। 5 साल बाद चुनाव में वोट मांगने आ जाते हैं। विधायक को लेकर इस तरह का विरोध कापू इलाके के गिदकालो में भी सामने आया। ग्रामीण इस बात से खास नाराज दिखे की क्षेत्र के विकास के लिए 5 साल में कुछ नहीं किया। बताया जाता है कि कांग्रेस नेत्री का एक वायरल वीडियो भी विधायक के कामकाज को लेकर नाराजगी दर्शाता है। हालांकि आम मतदाताओं में इस बात की चर्चा है कि भाजपा भी आम जनता को रिझाने में झूठी नजर आ रही है। भाजपा की रणनीति है कि विधायक के खिलाफ उग्र होते आक्रोश को अपने पाले में साधकर चुनावी लाभ लिया जाए। इस रणनीति में भाजपा भी मतदाताओं को खुश करने के लिए कुछ भी करने को तत्पर हैं। जिससे इस विधानसभा क्षेत्र में वोट के लिए नोट पर जोर साफ दिख रहा है। अब आने वाले दिनों में चुनाव पर इसका क्या असर पड़ता है यह देखने वाली बात होगी।
कांग्रेस-भाजपा के बीच तनातनी
इस चुनाव में फ्री का आइटम और घोषणाओं का खूब बोल वाला नजर आ रहा है। कांग्रेस अपने घोषणा पत्र को लेकर बेहद उत्साहित है। कर्ज माफी, धान खरीदी, तेंदूपत्ता संग्रह को के लिए बढ़ाई गई राशि का दावा कर मतदाताओं को रिहाने की कोशिश की जा रही है। वहीं भाजपा भी धान खरीदी और एक मुफ्त बोनस योजना घोषणा पत्र में जारी कर वोट हथियाने की जुगत में है। भाजपा के महतारी वंदन योजना को लेकर कांग्रेस में बड़ा आक्रोश है। बताया जाता है कि इस योजना को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विरोध जताया तो भाजपा भी मुखर हो गई। जिससे दोनों दलों में तनातनी बढ़ गई और मामला थाने तक पहुंच गया। यह अभी चर्चा है कि कांग्रेस प्रत्याशी के धरमजयगढ़ नगर पंचायत में जनसंपर्क के लिए अब तक नहीं पहुंचने से भाजपा बेहद खुश है। इसे कांग्रेस को लेकर बढ़ते आक्रोश के तौर पर देखा जा रहा है।
लैलूंगा में भी वोट के लिए मुक्त इंतजाम
आदिवासी बाहुल्य लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में भी भाजपा-कांग्रेस के बीच सिर्फ घोषणा को लेकर चुनावी सरगर्मी बढऩे की कोशिश हो रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो क्षेत्र के तमनार इलाके में बढ़ते औद्योगिक प्रदूषण, कृषि भूमि का अधिग्रहण और मुआवजा नहीं मिलने से नाराज ग्रामीणों की चिंता किसी को नहीं है यह चुनावी समय में ग्रामीणों को लुभाने के लिए हथकंडे अपनाए जा रहे हैं। सत्ता में रह चुके भाजपा के नेता इस बार फिर सत्ता हथियाना के फिराक में रेवड़ी बांट रहे हैं। गांव-गांव में नोट का खेल खेला जा रहा है। कांग्रेस ने चेहरा बदलकर अपनी कमी छुपाने कोशिश की है। उसका खामियांजा नए प्रत्याशी को भोगना पड़ सकता है। इस भय से कांग्रेस भी पिकनिक पार्टी और वोट के लिए नोट के इंतजाम में जुटी नजर आ रही है। मतदाताओं की चुप्पी पर अपना लाभ देखने वाले राजनीतिज्ञ आदर्श आचार संहिता को धता बताने में गुरेज करते नहीं दिख रहे हैं।
राष्ट्रीय दलों की घोषणा से निर्दलीय हताश
इस चुनाव में राजनीतिक दलों के घोषणा पत्र का बोलबाला है। चुनाव के दौरान कांग्रेस ने 17 गारंटी घोषणा के बाद गृह लक्ष्मी योजना की घोषणा कर दी है। राजनीति के जानकारों की माने तो भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दल में चुनाव के दौरान घोषणा पत्र जारी कर सीधे तौर पर मतदाताओं को रिझाने में जुटी नजर आ रही है। धान खरीदी, कर्ज माफी, धान का एक मुश्त बोनस, महतारी बंधन योजना, गृह लक्ष्मी योजना ऐसी घोषणा है, जो सीधे तौर पर मतदाताओं को प्रत्यक्ष तौर पर प्रभावित करती है। जिससे निर्दलीय प्रत्याशियों की हताशा साफ देखी जा रही है। इस तरह घोषणा पत्र में किए गए वादे को सीधे तौर पर राजनीतिक दलों के प्रत्याशी को जीताकर उनकी सरकार बनाने के लिए मतदाताओं को प्रलोभन देने की बात मानी जा रही है। इसका कितना नुकसान होगा या फायदा यह मतदाता पर ही निर्भर है।
धरमजयगढ़ क्षेत्र में गद्दी फिसलने के भय से पिकनिक पार्टियों का बोलबाला
मुर्गा पार्टी से जनता को साधने में जुटे राजनीतिक दल, क्षेत्र विकास की उम्मीदों पर फिरा पानी, जनता का फूट रहा आक्रोश
