रायगढ़। रायगढ़ जिला छत्तीसगढ़ के सबसे प्रदूषित जिलों में शामिल है और देश के सबसे प्रदूषित शहरों में 48वें स्थान पर है। यहां वायु, जल और भूमि प्रदूषण गंभीर स्तर पर है, जिससे सांस, दमा, कैंसर, लिवर और हृदय रोग जैसी बीमारियां आम हो गई हैं। जिले में बड़े पैमाने पर कोयला खनन, इस्पात, पावर प्लांट और अन्य भारी उद्योग संचालित हैं, जो प्रदूषण के प्रमुख स्रोत हैं।
कोयले का परिवहन, फ्लाई ऐश का अवैध डंपिंग, और औद्योगिक अपशिष्ट का तालाबों व नदियों में मिलना प्रदूषण को और बढ़ा रहा है। जिले की वायु गुणवत्ता सूचकांक (।फप्) कई बार 363 तक पहुंच गई है, जो बेहद खतरनाक है। ग्रामीण क्षेत्रों में पानी में डस्ट की मोटी परत जमा हो रही है, जिससे मछलियां मर रही हैं और पानी नहाने योग्य भी नहीं बचा है।
प्रशासनिक कार्रवाई
प्रशासन ने प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों पर सख्ती दिखाई है 2024-25 में कई उद्योगों पर करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया गया है। नए दिशा-निर्देश और ैव्च् जारी किए गए हैं, लेकिन स्थानीय लोगों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार प्रशासनिक कार्रवाई अभी भी अपर्याप्त है।
स्वास्थ्य और सामाजिक प्रभाव
प्रदूषण के कारण हर दूसरे परिवार में कोई न कोई सदस्य गंभीर बीमारियों से पीडि़त है। कुछ गांवों में फ्लोरोसिस जैसी बीमारियां व्यापक हैं, जिससे बच्चों के हाथ-पैर टेढ़े हो रहे हैं। लोग मास्क पहनने को मजबूर हैं और शुद्ध पानी व हवा की उपलब्धता संकट में है। रायगढ़ जिले में पर्यावरण प्रदूषण की स्थिति बेहद गंभीर है। वायु, जल और भूमि सभी स्तरों पर प्रदूषण का असर दिख रहा है, जिससे जनस्वास्थ्य और पारिस्थितिकी दोनों पर गहरा संकट मंडरा रहा है। प्रशासनिक कार्रवाई के बावजूद, स्थायी समाधान और सख्त क्रियान्वयन की आवश्यकता बनी हुई है।
प्रदूषण की मार से कराहता रायगढ़
देश के सबसे प्रदूषित शहरों में हो चुका है शुमार
