सारंगढ़। जिले के संवेदन शील कलेक्टर डॉ संजय कन्नोजे ने टीएल बैठक में वन विभाग को स्पष्ट रूप से सचेत करते हुए कहा कि क्षेत्र के जंगल में हाथियों का आगमन हो रहा है, उनके साथ ही साथ मानव जीवन की भी सुरक्षा जरूरी है। जिले के गोमर्डा अभ्यारण्य से एक बार फिर हाथियों की अनोखी दिनचर्या का दृश्य सामने आया है। बरमकेला रेंज के जंगलों में पानी की तलाश में घूमते 28 हाथियों का दल हर शाम दैहान परिसर के कक्ष क्रमांक 1004 आरएफ में स्थित पानी टंकी पर पहुंच रहा है। इस दल में नर, मादा और शावक सभी शामिल हैं।
पानी पीने की होड़ में हाथी कभी-कभी एक-दूसरे को सूंड से हल्के धक्के देते नजर आते हैं। वहीं, शावकों की मस्ती और आपसी नोक झोंक ने इस दृश्य को और भी मनमोहक बना दिया है। वन विभाग के अनुसार, यह दल पिछले दो वर्षों से गोमर्डा अभ्यारण्य में स्थायी रूप से रह रहा है। पहले इनकी संख्या 27 थी, लेकिन हाल ही में एक और हाथी के जुडऩे से संख्या बढक़र 28 हो गई है। ये हाथी मुख्यत: बरमकेला और सारंगढ़ रेंज में विचरण करते हैं, लेकिन बीते कुछ समय से बरमकेला रेंज में ही अधिक देखे जा रहे हैं।
बरमकेला रेंज के रेंजर सुरेन्द्र अजय ने भास्कर से चर्चा पर बताया कि अभ्यारण्य क्षेत्र में पानी की पर्याप्त उपलब्धता है, जिससे हाथियों को एक बड़ी राहत मिल रही है और वे लगातार यहीं ठहरे हुए हैं। वर्तमान में यह दल कक्ष क्र. 998 आरएफ में मौजूद है उनकी गतिविधियों पर वन विभाग द्वारा लगातार निगरानी रखी जा रही है। सुरक्षा की दृष्टि से लुरका, दबगांव, पठारीपाली, खम्हारपाली, नावापाली और मांजरमाती गांवों में मुनादी कराई गई है कि ग्रामीण अकेले जंगल की ओर न जाएं। वनविभाग ने ग्रामीणों से अपील किये कि हाथियों को देखकर भयभीत न हों और न ही उन्हें किसी प्रकार से उकसाएं, पानी व भोजन की तलाश में हाथी जंगल से बाहर भी निकल सकते हैं। ऐसे में सावधानी और संयम जरूरी है। विभाग का कहना है कि मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन बनाए रखना हम सभी की जिम्मेदारी है।
पानी की उपलब्धता वन्य जीवों के लिए बड़ी राहत
