रायगढ़। योग न केवल हमारा स्वाभिमान बढ़ाता है बल्कि उपयोगी व आत्मनिर्भर बनाकर हमें स्वावलंबन की सनातन परंपरा से भी जोड़ता है। तभी तो कहा गया है कि योग कर्मसु कौशलम् अर्थात कर्मों की कुशलता ही योग है। ऋ षियों की हजारों वर्षों तक की गई अथक तपस्या का परिणाम है योग। हमारे ऋषि-मुनियों ने योग को ‘समत्वम् योग उच्यते’ अर्थात सुख और दुख, सम और विषम, दोनों परिस्थितियों में समान रहने के रूप में परिभाषित किया है। वास्तव में योग जब जीवन में उतरता है तो जीव पर सुख-दुख अपना नकारात्मक प्रभाव नहीं डाल पाते। इसलिए कहा गया है कि योग करने का नहीं, बल्कि जीने का नाम है। हमारे ऋषियों ने जीवन को धैर्य और संयम युक्त बनाने के लिए योग को प्रमुख माध्यम बनाया था। वर्तमान समय में संपूर्ण मानवता की रक्षा के लिये धैर्य, संयम और करुणा जैसे दिव्य आभूषणों की ही आवश्यकता है, जो केवल योगमय जीवन पद्धति में निहित हैं। भारत में योग एक जीवन पद्धति है, दर्शन है और संस्कृति भी है। इसके माध्यम से आध्यात्मिक सोपानों को प्राप्त किया जा सकता है। आज कल की भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव बढ़ता जा रहा है। काम के बोझ, नींद की कमी, सुस्त जीवनशैली और अस्वस्थ भोजन के कारण लोग काफी परेशान और थके हुए रहते हैं। इन सब वजहों से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बिगडऩे लगता है। बात-बात पर चिडऩा, गुस्सा, नाराजगी और हर चीज पर नियंत्रण पाने की कोशिश करना, ये सभी आपके तनाव को और ज्यादा बढ़ा सकते हैं। रश्मि शर्मा ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को संतुलित रखने के लिए योग एक प्राचीन पद्धति है। जीवन में शांति और सुख का अनुभव करने के लिए योग में कई तरह की तकनीक है जिसका अभ्यास करके आप अपनी मानसिक स्थिति में सुधार ला सकते हैं। योग करने से अनगिनत मानसिक और शारीरिक लाभ मिलते हैं। दिमाग को शांत करने के लिए आप आगे झुकने वाले आसन करें जैसे योग मुद्रा और चक्रासन। इससे आपका मन शांत होगा और आपके दिमाग के हिस्से में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन पहुंचेगा। आसन का अभ्यास करने से आपके शरीर और मन दोनो में स्थिरता आती है, तनाव कम होता है और सुख का अनुभव होता है। आपका श्वास और मन एक-दूसरे से जुड़े हैं। जब भी आप तनाव या चिंता महसूस करें, तो आप प्राणायाम का अभ्यास करें – खासकर भ्रामरी प्राणायाम का। जब आप अपने श्वास को नियंत्रण में लेकर आते हैं, तो आपका मन भी अपने आप शांत होने लगता हैं। प्राणायाम से आपके मन की स्थिति में सुधार होगा, तनाव कम होगा और एकग्रता बढ़ेगी। तनाव दूर करने के लिए मन की स्थिति को शांत करना आवश्यक है। जब भी चिंता या तनाव महसूस हो, तो आप अपनी आंखें बंद करके आसपास की आवाजों पर ध्यान केंद्रित करें। इन आवाजों को अपने कान पर पडऩे दें और आनंद का अनुभव करें। इससे आप असंतुलित और तनाव की स्थिति से निकलकर शांति के वातावरण में आएंगे।
यह भी आवश्यक है
सात्विक खाने की कोशिश करें और जंक फूड खाने से बचें समय पर खाना खाएं और जितनी भूख हो उतना ही खाएं ताजे फल और सब्जियों का ज्यादा सेवन करें दिन भर काम करने के बाद अपने दोस्तों और करीबी लोगों से मिलते रहे अच्छी बातों पर चर्चा करें सुबह समय पर उठें, एक्सरसाइज करें और सही समय पर खाना खाएं रात को अच्छी नींद लें, अपने विचारों में जागरूकता लाएं और सकारात्मक सोच रखें।
योग-कर्मसु कौशलम्- योग से आती है हमारे कर्मों में कुशलता और हम बन जाते हैं आत्मनिर्भर : रश्मि शर्मा
