बिलासपुर। भारतीय रेलवे के कुछ अधिकारियों ने चित्रकला के क्षेत्र में भी एक शानदार यात्रा शुरू की है। इनकी कलाकृतियों की एक समूह प्रदर्शनी इम्प्रेशन्स का आयोजन किया जा रहा है। इस प्रदर्शनी में भाग लेने वाले कलाकारों में बख्तियार दादाभाई, मुकुल सरन माथुर, आशीमा मेहरोत्रा, कृष्णनाथ एस. पाटिल और कुलदीप तिवारी शामिल हैं। इन कलाकारों की कृतियाँ 14-18 जून 2024 तक विजुअल आर्ट्स गैलरी, इंडिया हैबिटेट सेंटर, लोदी रोड, नई दिल्ली में प्रदर्शित की जाएंगी।
प्रदर्शनी का उद्घाटन 14 जून 2024 को शाम 5 बजे इंडिया हैबिटेट सेंटर की अध्यक्ष अंब. भास्वती मुखर्जी द्वारा किया जाएगा, जिसमें रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष एवं सीईओ श्रीमती जया वर्मा सिन्हा विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगी। यह प्रदर्शनी 15-18 जून 2024 तक (प्रात: 11 बजे से सायं 7 बजे तक) जनता के लिए खुली रहेगी। प्रदर्शनी में प्रदर्शित चित्रों में रूप और रंग के भावनात्मक और अभिव्यक्तिपूर्ण गुणों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। प्रत्येक कलाकार ने अपनी विशिष्ट दृष्टिकोण और शैली को दर्शाते हुए विभिन्न थीम और रंग योजनाओं का अन्वेषण किया है। इन चित्रों में अमूर्त कला की भी झलक देखने को मिलेगी, जिसमें रंग, आकार और संरचना की सीमाओं को आगे बढ़ाया गया है।
कलाकारों का संक्षिप्त परिचय
बख्तियार दादाभाई- पूर्व सिविल सेवक और नौ पुस्तकों के लेखक, बख्तियार एक स्व-सिखाया कलाकार हैं जिन्होंने तेल चित्रकला से शुरुआत की और बाद में ऐक्रेलिक पर स्विच किया। उनके चित्र प्राकृतिक दुनिया की सुंदरता को जीवंत और अभिव्यक्तिपूर्ण कृतियों में संजोते हैं।
मुकुल सरन माथुर- सिविल सेवक मुकुल की कला में प्रकृति और मानव अस्तित्व के बीच के तालमेल को दर्शाया गया है। वे जलरंग और तेल माध्यम में काम करते हैं, और उनके चित्र पर्यावरण, विरासत और सामाजिक परिवेश पर संवाद को प्रोत्साहित करते हैं।
आशीमा मेहरोत्रा- दिल्ली स्थित सिविल सेवक और चित्रकार, आशीमा ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कला प्रतियोगिताओं में भाग लिया है और पुरस्कार जीते हैं। उनकी कृतियाँ उनके अनुभवों और व्यक्तित्व का प्रतिबिंब हैं।
कृष्णनाथ एस. पाटिल- स्व-सिखाया कलाकार कृष्णनाथ ने विभिन्न पद्धतियों, तकनीकों और चित्रकला के अनुप्रयोगों का गहन अध्ययन किया है। उनकी कला अमूर्तता और प्रकृति का मिश्रण है, और वे अपने अद्वितीय शैली के लिए जाने जाते हैं।
कुलदीप तिवारी- रेलवे के साथ काम करने वाले कुलदीप तिवारी मुख्य रूप से ऐक्रेलिक माध्यम में काम करते हैं और उनकी कला प्रकृति के विविध अभिव्यक्तियों से प्रेरित है। ये कलाकार जीवन के विविध रंगों को अपने अद्वितीय दृष्टिकोण से संजोते हैं, जो समय और स्थान की लय में एक साथ बंधते हैं।
कला के सफर पर भारतीय रेलवे के अधिकारी
