भिलाईनगर। भिलाई स्टील प्लांट के जवाहरलाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र सेक्टर-9 के एडवांस बर्न केयर यूनिट के डाक्टरों ने कमाल कर दिया है। मरीज और डाक्टर के रिश्ते के ताने-बाने को संगीत के धागे से पिरो दिया है।पहली बार मरीज-परिजन और डॉक्टर तथा सभी स्टाफ एक साथ बैठे। मरीजों के परिजनों में शामिल प्रतिष्ठित कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाई। वहीं, मरीजों ने भी दर्द भूल कर आभार स्वरूप अपनी रचनाओं का पाठ किया।इस दौरान मुख्य अतिथि सीएमओ इंचार्ज डॉक्टर एम रविंद्रनाथ तथा विशिष्ट अतिथि सीएमओ द्वय डॉ विनीता द्विवेदी और डॉक्टर कौशलेंद्र ठाकुर थे। मरीज के परिजनों में से दो कवि वरिष्ठ साहित्यकार रवि श्रीवास्तव और लक्ष्मी नारायण कुंभकार आमंत्रित अतिथि थे।अपने स्वागत उद्बोधन में विभाग प्रमुख डॉ उदय कुमार ने बताया कि इस आयोजन का मकसद चिकित्सा समुदाय और मरीज तथा परिजनों के बीच आपसी सौहार्द बढ़ाना और मनोरंजन के साथ एक दूसरे को धन्यवाद देना है।मुख्य अतिथि डा. रवींद्रनाथ एम. ने आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि यहां लोग दर्द लेकर आते हैं और मुस्कान लेकर जाते हैं। जिसमें हमारे समूचे मेडिकल स्टाफ की भूमिका सराहनीय रहती है। उन्होंने कहा कि मरीजों के आत्मविश्वास तथा परिजनों के साथ को बढ़ाने इस तरह की पहल सहायक सिद्ध होगी।डॉ उदय कुमार ने इस दौरान बर्न विभाग की टीम की कार्य कुशलता और मरीजों की देखभाल पर अपनी कविताएं पेश की। प्रतिष्ठित साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने अपनी कुछ व्यंग्य रचनाएं सुनाई, जिससे वहां मौजूद मरीजों के चेहरे पर मुस्कान तैर गई। रवि श्रीवास्तव ने ‘मां‘ पर आधारित अपनी रचना भी सुनाई, जिसे सुन कर लोग भावुक हो गए।कवि लक्ष्मी नारायण कुंभकार ने डॉक्टर को भगवान का दर्जा देते हुए कुछ कविताएं सुनाई और छत्तीसगढ़ी में काव्य पाठ कर सबका दिल जीत लिया। बर्न विभाग की नर्सिंग स्टाफ राजेश्वरी तथा सुनीता साहू ने भी काव्य पाठ कर सबको भावविभोर कर दिया।सीएमओ द्वय डॉक्टर कौशलेंद्र ठाकुर और डॉक्टर विनिता द्विवेदी सीएमओ ने आपसी सौहार्द बढ़ाने और मरीजों के मनोबल बढ़ाने में इस कार्यक्रम को सहायक बताया। कार्यक्रम का संचालन नर्सिंग स्टाफ रश्मि मसीह ने किया।आभार व्यक्त करते हुए डॉक्टर अनिरुद्ध मेने ने अपनी सुरीली आवाज से समां बांध दिया। उन्होंने ‘अभी ना जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं’ सुना कर सभी को भावुक कर दिया। नई जिंदगी पाकर छलकी कुंजलता-रीता की आंखें इस आयोजन में अपनी रचनाएं सुनाते वक्त बालाघाट से यहां आकर नया जीवन पाने वाली मरीज कुंजलता वैद्य और स्थानीय मरीज रीता दीक्षित की आंखें छलक उठी।